/newsnation/media/post_attachments/images/2018/09/28/Amit-Shah-67.jpg)
Amit Shah
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को कांग्रेस पर माओवादियों और भ्रष्ट तत्वों का समर्थन करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहाकि देश में मूर्खता के लिए एक ही जगह है और उसे कांग्रेस कहते हैं. अमित शाह ने यह प्रतिक्रिया भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दी है. उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में एसआईटी जांच की मांग खारिज कर दी.
अमित शाह ने अपने ट्वीट में लिखा 'भारत बहस और चर्चा का एक जीवंत लोकतंत्र है. हालांकि, हमारे नागरिकों को नुकसान पहुंचाने के मकसद से देश के खिलाफ साजिश इन में से एक नहीं है. जिन लोगों ने इस मुद्दे को राजनीतिक बनाया है, उन्हें माफी मांगनी चाहिए.
There is only one place for idiocy and it's called the Congress. Support ‘Bharat Ke Tukde Tukde Gang’, Maoists, fake activists and corrupt elements. Defame all those who are honest and working.
— Amit Shah (@AmitShah) September 28, 2018
Welcome to Rahul Gandhi’s Congress. #BhimaKoregaonhttps://t.co/eWoeT0qo1L
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
आज सुप्रीम कोर्ट ने भीमा काेरेगांव मामले पर अपना फैसला सुनाया था. इस मामले में इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य ने विशेष जांच दल (SIT) से जांच की अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए केस में दखल देने से मना कर दिया. कोर्ट ने एसआईटी बनाने की मांग को भी खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि यहां पर विचार न मिलने से गिरफ्तारी का मामला नहीं है. कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी प्राथमिक आधार पर सबूतों के बाद की गई है. कोर्ट ने कहा कि यह गिरफ्तारी प्राथमिक तौर पर प्रतिबंधित संगठन सीपीआई माओवादी से संबंध होने के सबूतों के होने के आरोप के बाद की गई है. कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपियों ने जांच पर कोई मांग नहीं की.
बहुमत का फैसला
कोर्ट का यह फैसला बहुमत से हुआ है. सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस जे एएम खानविलकर और जस्टिस जे डीआई चंद्रचूड़ की बेंच ने यह फैसला दिया है.लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस फैसले में अपनी राय अलग रखी है. उन्होंने कहा कि संविधान में दी गई आजादी बेमतलब रह जाएगा अगर सही जांच के बिना गिरफ्तारी की जाए. विपक्ष की आवाज को सिर्फ इसलिए नहीं दबाया जा सकता है क्योंकि वो आपसे सहमत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में कोर्ट की निगरानी में SIT बननी चाहिए थी.