केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर कहा कि परसों भी कई सवाल उठाए गए. लोकसभा में कहा गया कि ये बिल अभी लंबित है और जल्दबाजी में लाया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट न्याय करेगा और हमें इसका इंतजार करना चाहिए. ये सभी न्याय के लिए नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो निर्णय किया था, उस निर्णय को लंबित करने के लिए थे. अमित शाह ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि राज्यपाल शासन और राष्ट्रपति शासन की घोषणाओं को चुनौती देना ठीक नहीं है...जब अस्थायी प्रावधान किया गया तो सवाल उठा कि अगर यह अस्थायी है तो इसे हटाया कैसे जाएगा? इसलिए अनुच्छेद 373 के अंदर यह प्रावधान डाला गया कि राष्ट्रपति धारा 370 में संशोधन कर सकते हैं, उस पर प्रतिबंध लगा सकते हैं और उसे संविधान से पूरी तरह बाहर भी कर सकते हैं..."
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज (अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का) फैसला भी आ गया है.। फिर भी, वे (कांग्रेस) कहते हैं कि वे इसे स्वीकार नहीं करते हैं और वे मानते हैं कि धारा 370 को गलत तरीके से हटाया गया. मैं उन्हें यह नहीं समझा सकता कि वास्तविकता क्या है...अनुच्छेद 370 ने अलगाववाद को बढ़ावा दिया और अलगाववाद के कारण आतंकवाद को बढ़ावा मिला. एक गलत फैसला हो सकता है लेकिन जब इतिहास और समय यह साबित कर दे कि वह फैसला गलत है तो राष्ट्रहित की ओर लौटना चाहिए. मैं अब भी कहता हूं, वापस आ जाओ नहीं तो अब कितने (सदन के लिए चुने गए सांसद) बचे हैं, वह भी नहीं रहेंगे. अगर आप आज भी इस फैसले पर कायम रहना चाहते हैं तो जनता देख रही है- 2024 में मुकाबला होगा और पीएम मोदी तीसरी बार पीएम बनेंगे.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पहले जम्मू में 37 सीटें थीं, अब नए परिसीमन आयोग के बाद 43 सीटें हो गई हैं. पहले कश्मीर में 46 सीटें थीं, अब 47 हैं और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 24 सीटें आरक्षित कर दी गई हैं क्योंकि PoK हमारा है..." उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की 24 सीटों को आरक्षित रखा गया हैं क्योंकि फिर से कह रहा हूं कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर(PoK) भारत का है, हमारा है और इसे हमसे कोई नहीं छीन सकता...''
अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि जहां तक तंग नजरियों का सवाल है, देश की एक भी इंच जमीन का सवाल है, हमारा नजरिया तंग रहेगा, हम दिल बड़ा नहीं कर सकते. किसी को भी अपना बड़ा हृदय दिखाने के लिए हमारी ज़मीन का एक हिस्सा देने का अधिकार नहीं है..." अमित शाह ने कहा कि एक बात तो सर्वविदित है कि अगर असामयिक युद्धविराम नहीं हुआ होता तो आज पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) नहीं होता... मैं एक बयान पढ़ना चाहूंगा... यह जवाहरलाल नेहरू का उद्धरण है। उनको तो मानोगे या नहीं मानोगे कि उन्होंने गलती की है. इसे स्वीकार करें..."
Source : News Nation Bureau