Amit Shah On New Parliament: अमित शाह ने बताया सेंगोल का इतिहास, बोले नए ससंद भवन में दिखेगा भारत का राजदंड

नए संसद भवन को लेकर चल रहे सियासी घमासान के बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा बयान सामने आया है.

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Dheeraj Sharma
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Home Minister Amit Shah( Photo Credit : ANI)

Amit Shah On New Parliament: नए संसद भवन को लेकर चल रहे सियासी घमासान के बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा बयान सामने आया है. दरअसल अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए नए संसद भवन को लेकर कई बातें सामने रखीं. उन्होंने इसके साथ ही सेंगोल का इतिहास भी बताया. अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे. इसके साथ ही वे 60000 श्रमयोगियों का भी सम्मान करेंगे, जिन्होंने इस संसद भवन के निर्माण में अहम योगदान दिया है. बता दें कि संसद भवन को तैयार करने में कुल 60 हजार कर्मियों या मजदूरों ने काम किया है. 

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सेंगोल की होगी संसद में स्थापना
अमित शाह के मुताबिक सेंगोल को नई संसद में स्थापित किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि जिस दिन नया संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा उसी दिन तमिलनाडु स आए विद्वानों की ओर से सेंगोल प्रधानमंत्री को दी जाएगी. यही नहीं ये सेंगोल इसके साथ ही संसद में हमेशा के लिए स्थापित भी कर दी जाएगी. 

क्या है सेंगोल का इतिहास
गृहमंत्री अमित शाह ने सेंगोल के इतिहास के बारे में भी अहम जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जब पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से ये पूछा गया था कि सत्ता के ट्रांसफर के दौरान क्या आयोजन किया जाना चाहिए तो उन्होंने इसको लेकर अपने सहयोगियों जिसमें सी गोपालचारी से चर्चा की थी. इसके बाद सेंगोल की प्रक्रिया को चिन्हित किया गया. उन्होंने बताया कि इसके बाद पंडित नेहरू ने तमिलनाडु से सेंगोल मंगलवाया और इसे अंग्रेजों ने पंडित नेहरू को सौंपा. इस तरह एक पारंपरिक तरीके से सत्ता को हस्तांतरित किया गया. 

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सेंगोल का चोल साम्राज्य से गहरा नाता
सेंगोल का अर्थ है शंख. दरअसल ये शब्द संस्कृत के शंकु से लिया गया है. शंख का हिंदू धर्म में एक खास महत्व है. इसे संप्रभुता के तौर पर भी देखा जाता है. दरअसल संगोल राजदंड भारतीय सम्राट की ताकत और उसके अधिकारों का प्रतीक माना जाता है. 

इसका निर्माण सोने या फिर चांदी से किया जाता है. इसमें कीमती पत्थरों को भी लगाया जाता था. इस सेंगोल को राजा औपचारिक मौकों पर अपने साथ लेकर चलता था. इसके इस्तेमाल सम्राट के अधिकारों को दर्शाने के लिए भी होता था. 

भारत में सबसे पहले सेंगोल राजदंड मौर्य साम्रज्य के दौरान 322-185 ईसा पूर्व किया गया था.  मौर्य सम्राटों ने इसे अपने अधिकारों को दर्शाने के लिए तैयार किया था. इसके साथ ही चोल और विजयनगर साम्राज्य में भी इसका इस्तेमाल हुआ. तब से ये भारत के राजदंड का प्रतीक बन गया. हालांकि 1947 के बाद इसका इस्तेमाल नहीं किया गया. अब आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान इसे दोबारा अस्तीत्व में लाया जा रहा है. ये भारत की शक्ति और संपदा का प्रतीक बनकर रहेगा.

HIGHLIGHTS

  • पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे नए संसद भवन का उद्घाटन
  • अमित शाह ने बताया इस दौरान 60 हजार श्रमिकों का भी होगा सम्मान
  • 28 मई को होगा नए संसद भवन का निर्माण, शाह ने सेंगोल का इतिहास भी बताया
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