हिंदी ने स्वतंत्रता आंदोलन में देश को एकसूत्र में बांधने का काम किया: अमित शाह
Hindi Diwas 2023: हिंदी दिवस के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत सालों से विविध भाषाओं का देश रहा है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की भाषाओं की विविधिता को एकता के सूत्र में पिरोने का नाम हिंदी है
New Delhi:
Hindi Diwas 2023: हिंदी भारत की जन-जन की भाषा है. यही वजह है कि देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी ही है. देश के कई राज्यों की तो यह मुख्य भाषा है. अगर वर्ल्ड वाइड बात करें तो अंग्रेजी, स्पेनिश और मंडेरिन के बाद हिंदी चौथी सबसे ज्यादा बोली जानी वाली भाषा है. यही वजह है कि हिंदी भाषा के महत्व को दर्शाने और इसको बढ़ावा देने के लिए 14 सितंबर को हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इस क्रम में आज केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने देशवासियों के साथ हिंदी भाषा के महत्व को साझा किया.
#WATCH | On the occasion of 'Hindi Diwas', Union Home Minister Amit Shah says "India has also promoted the use of Hindi in the United Nations...The third 'Akhil Bhartiya Rajbhasha Sammelan' will be organised in Pune this year..." pic.twitter.com/JiTI0fU5vb
— ANI (@ANI) September 14, 2023
हिंदी दिवस के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत सालों से विविध भाषाओं का देश रहा है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की भाषाओं की विविधिता को एकता के सूत्र में पिरोने का नाम हिंदी है. हिंदी एक जनतांत्रिक भाषा रही है। इसने अलग-अलग भारतीय भाषाओं और बोलियों के साथ कई वैश्विक भाषाओं को सम्मान देने का काम किया है. हिंदी दिवस के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कि हिंदी भाषा ने स्वतंत्रता आंदोलन में देश को एकसूत्र में बांधने का अभूतपूर्व काम किया है. इसने अनेक भाषाओं और बोलियों में बंटे देश में एकता की भावना स्थापित की.
On the occasion of 'Hindi Diwas', Union Home Minister Amit Shah says "Hindi is the name for unifying the diversity of languages of India, the world's largest democracy. From the independence movement till today, Hindi has played an important role in uniting the country..." pic.twitter.com/4MoQbtSWsB
— ANI (@ANI) September 14, 2023
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में स्वराज प्राप्ती और स्वभाषा के आंदोलन के एक साथ चल रहे थे. स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता प्राप्ती के बाद हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए संविधान निर्माताओं ने 14 सिंतबर 1949 के दिन हिंदी को देश की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था. किसी भी देश की मौलिक और सृजनात्मक अभिव्यक्ति सही मायनों में सिर्फ उस देश की अपनी भाषाओं में ही की जा सकती है.
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