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अमित शाह बोले- किसानों का प्रदर्शन राजनीतिक नहीं, उनके कल्याण के लिए कानून

केंद्र के नये कृषि कानूनों के विरुद्ध हजारों किसानों के आंदोलन के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि ये कानून किसानों के कल्याण के लिए हैं और उनका आंदोलन अराजनीतिक है.

Updated on: 29 Nov 2020, 11:20 PM

नई दिल्ली:

केंद्र के नये कृषि कानूनों के विरुद्ध हजारों किसानों के आंदोलन के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि ये कानून किसानों के कल्याण के लिए हैं और उनका आंदोलन अराजनीतिक है. शाह ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘नये कृषि कानून किसानों के कल्याण के लिए हैं. लंबे समय बाद किसान एक बंधन वाली व्यवस्था से बाहर आ रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जो भी राजनीतिक रूप से इनका विरोध करना चाहते हैं, करते रहें. मैंने कभी नहीं कहा कि किसानों का प्रदर्शन राजनीतिक है और ना कभी कहूंगा.’’ गृह मंत्री ने दिल्ली की सीमाओं पर एकत्रित हुए किसानों को उत्तर दिल्ली के बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन के लिए जमा होने की अपील की है और कहा कि केंद्र सरकार उनके वहां पहुंचने के बाद उनसे बातचीत को तैयार है.

शाह ने एक सवाल के जवाब में एआईएमआईएम अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी के खबरों में आए इस बयान के लिए उनकी निंदा की कि राजग सरकार ने हैदराबाद में पाकिस्तानियों, रोहिंग्या तथा बांग्लादेशियों के अवैध तरीके से रहने के आरोपों पर क्या कार्रवाई की है. शाह ने इस बारे में ओवैसी से लिखित में देने को कहा. उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं कार्रवाई करता हूं तो वे (ओवैसी और अन्य दल) संसद में हंगामा करते है. क्या आपने यह नहीं देखा?’’ गृह मंत्री ने कहा, ‘‘एक बार वह मुझे लिखित में कहें कि रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों को निकाला जाए तो मैं कार्रवाई करुंगा.’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल चुनावी भाषण तक सीमित नहीं रहना चाहिए. जब भी संसद में इस विषय पर चर्चा होती है तो उनका पक्ष कौन लेता है? देश की जनता यह जानती है.’’ शाह की टिप्पणियों को लेकर उन पर पलटवार करते हुए ओवैसी ने कहा, ‘‘वह इतिहास में पहले मंत्री हैं जिन्हें अपना काम करने के लिए एक सांसद के पत्र की जरूरत है.’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘उनकी ही पार्टी ने हैदराबाद में इन काल्पनिक अवैध घुसपैठियों को पैदा किया और अब वह मेरी मंजूरी चाहते हैं. असम में ‘40 लाख दीमकों’ की तरह वे केवल शाह की कपोल कल्पना में और केवल चुनावों के लिए हैं.’’ भाषा वैभव दिलीप दिलीप