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कृषि कानून पर बोले अमित शाह- तोमर एक-दो दिन में प्रदर्शनकारी किसानों से मिल सकते हैं, लेकिन...

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक-दो दिन में मुलाकात करने की संभावना है.

Updated on: 20 Dec 2020, 08:16 PM

बोलपुर:

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने रविवार को कहा कि नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक-दो दिन में मुलाकात करने की संभावना है. उल्लेखनीय है कि गतिरोध दूर करने के लिए केंद्र और आंदोलनरत किसानों के प्रतिनिधियों बीच कई दौर की वार्ता नाकाम रही है.

अमित शाह ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैं समय के बारे में पूरी तरह से अवगत नहीं हूं, लेकिन किसानों के प्रतिनिधियों से उनकी मांगों पर चर्चा के लिए तोमर के  सोमवार या मंगलवार मुलाकात करने की संभावना है. हजारों की संख्या में किसान दिल्ली से लगी हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर करीब चार हफ्ते से डेरा डाले हुए हैं. वे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

नड्डा के काफिले पर हमले को लेकर अमित शाह ने ममता सरकार पर निशाना साधा

गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में पिछले दिनों भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा के काफिले पर हमले को लेकर रविवार को राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि केंद्र को राज्य के उन आईपीएस अधिकारियों को केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर बुलाने का अधिकार है, जो नड्डा की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे.

शाह ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने में विफल रही हैं और राज्य विकास के सभी मापदंडों पर तेजी से पिछड़ता जा रहा है. गृह मंत्री ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बनर्जी और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस राज्य सरकार की विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए ‘बाहरी-भीतरी’ के मुद्दे को उठा रही है. 

उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र को राज्य सरकार को (आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाने के लिए) पत्र भेजने का पूरा अधिकार है। अगर उन्हें कोई संशय है तो नियम पुस्तिका देख सकते हैं.’’ ‘बाहरी-भीतरी’ की बहस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल में यदि भाजपा सत्ता में आती है तो कोई माटी का लाल ही मुख्यमंत्री बनेगा.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि ममता दी कुछ चीजें भूल गई हैं. जब ममता दी कांग्रेस में थीं तो क्या उन्होंने इंदिरा गांधी को बाहरी कहा था? क्या उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंहराव के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया था? क्या वह ऐसा देश बनाने की कोशिश कर रही हैं, जहां एक राज्य की जनता को दूसरे राज्यों में आने की अनुमति नहीं है?’’ शाह ने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर भी ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा.

उन्होंने कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस कभी घुसपैठ बंद नहीं कर सकती क्योंकि वह तुष्टिकरण की राजनीति में भरोसा करती है. केवल भाजपा इसे रोक सकती है. ममता बनर्जी किसानों के प्रदर्शन को तो समर्थन देती हैं लेकिन बंगाल के किसानों को केंद्रीय योजनाओं का लाभ नहीं उठाने देतीं. क्या संघीय ढांचे को सम्मान देने का यही तरीका है?’’ एक प्रश्न के उत्तर में शाह ने कहा कि कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण के बाद नागरिकता संशोधन कानून के क्रियान्वयन के नियम बनाये जाएंगे. उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस की वजह से इतनी बड़ी कवायद नहीं की जा सकती. जैसे ही कोविड-19 का टीकाकरण शुरू होगा, हम इस बारे में चर्चा करेंगे.’’