विधानसभा चुनाव को देखते हुए दो दिवसीय कर्नाटक दौरे पर पहुंचे अमित शाह ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म की मान्यता देने को लेकर सिद्धारमैया सरकार पर हमला बोला है।
शाह ने कहा कि लिंगायत समुदाय को अलग धर्म की मान्यता देने के पीछे मंशा यही है कि किसी तरह से चुनाव में वोटों का ध्रुवीकरण हो।
राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए शाह ने कहा, 'यह एक रणनीति है जिससे कि येदियुरप्पा को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने से रोका जा सके। वो (सिद्धारमैया सरकार) लिंगायत को अलग धर्म का दर्ज़ा दे कर वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं लेकिन यह समुदाय सबकुछ समझता है। बीजेपी लिंगायत को लेकर चुनाव के बाद अपना स्टैंड स्पष्ट करेगी।'
वहीं नागपुर में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे आरएसएस चीफ भागवत ने भी सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ नारजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह के कार्य हिंदु धर्म के लिए घातक हैं।
उन्होंने कहा, 'एक ही धर्म के लोगों को बांटने की कोशिशें हो रही हैं। जो लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं, वे राक्षसी प्रवृत्ति के तहत बांटों और राज करो की नीति अपना रहे हैं।'
बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को शाह ने मैसूर में कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था, 'हत्याओं का जो सिलसिला चल पड़ा है उसकी मैं घोर निंदा करता हूं। राजनीति में राजनीतिक विचारधाराओं के प्रवाह में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। अगर कांग्रेस सरकार समझती है कि हिंसा से हमारी विचारधारा को रोक पाएंगे तो यह उनकी गलतफहमी है।'
उन्होंने कहा, 'यह येदियुरप्पा जी को कर्नाटक का सीएम बनने से रोकने के लिए रणनीति के तहत लिया गया फ़ैसला है। वो (सिद्धारमैया सरकार) लिंगायत समुदाय के वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं लेकिन समुदाय के लोग इसा बात को खूब समझते हैं। बीजेपी चुनाव के बाद इस मसले पर अपना स्थिति स्पष्ट करेगी।'
शाह ने आगे कहा, 'दो दर्जन से अधिक बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्याएं हुई हैं। 22 हत्याएं एक ही तरह से की गई हैं। फिर भी पुलिस ने कदम नहीं उठाया। हत्यारों को छुड़वाने का काम हो रहा है। वे खुलेआम घूम रहे हैं। उन्हें फिर से हत्या करने का मौका दिया जा रहा है। सिद्धारमैया सरकार का समय खत्म है। जैसे ही बीजेपी की सरकार यहां बनेगी, सभी हत्यारों को पाताल से भी ढूंढकर जेल में डालेंगे।'
अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, '2014 से राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस जितने चुनाव लड़ी है, उन सब में उनकी हार हुई है और अब बारी कर्नाटक की है।'