असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) में 40 लाख लोगों के नाम शामिल न किए जाने के मुद्दे पर मंगलवार को राज्यसभा में गर्मागर्म बहस हुई। हालांकि कांग्रेस की ओर से हंगामा करने के बाद इसे दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया।
एनआरसी पर चर्चा करते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि वोट बैंक के चक्कर में एनआरसी पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसकी पहल की थी।
शाह ने कहा,' NRC बनते वक़्त एक घुसपैठियों को बाहर किए जाने की बात ही इस समझौते की आत्मा है जिसे खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने साइन किया था। आज वोटबैंक के लिए कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। आप में साहस नही था घुसपैठियों को बाहर करने का इसीलिए और बीजेपी सरकार ने हिम्मत दिखाकर यह काम किया है।'
उन्होंने कांग्रेस पर अवैध बांग्लादेशियों के प्रति नरमी दिखाने का आरोप लगाते हुए कहा, 'कांग्रेस के पीएम ने यह समझौता किया, लेकिन यह पार्टी इसे लागू नहीं कर सकी। हममें हिम्मत थी और इसलिए हमने इसपर अमल किया।' उन्होंने कांग्रेस से सवाल पूछा कि वह क्यों अवैध घुसपैठियों को बचाना चाहती है?
और पढ़े: NRC पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, कहा- जो लोग लिस्ट में जगह नहीं बना सके हैं तो हमें इसे ठीक करना चाहिए
शाह ने एनआरसी पर सवाल करते हुए कहा कि चर्चा के दौरान कोई यह नहीं बता रहा है कि NRC का मूल कहां है, यह आया कहां से है।
उन्होंने कहा, 'अवैध घुसपैठियों के मुद्दे पर असम के सैकड़ों युवा शहीद हुए। 14 अगस्त 1985 को पूर्व पीएम राजीव गांधी ने असम अकॉर्ड (समझौता) लागू किया था। यही समझौता NRC की आत्मा थी। इस समझौते में यह प्रावधान था कि अवैध घुसपैठियों को पहचानकर उनको सिटिजन रजिस्टर से अलग कर एक नेशनल रजिस्टर बनाया जाएगा।'
शाह ने सभी पार्टियों से इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करने की मांग करते हुए कहा कि मुझे बहुत दुख है कि बीजेपी और बीजेडी के अलावा एक भी पार्टी ने ये बोलना उचित नही समझा कि घुसपैठियों के लिए देश मे कोई जगह नहीं है।
उनके इस बयान के बाद राज्यसभा में शोर-शराबा होने लगा। कांग्रेस के सदस्य शोरगुल करते हुए चेयरमैन के आसन तक पहुंच गए। जिसके बाद चेयरमैन ने दिनभर के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी।
और पढ़ें: लिंचिंग पर राजे ने कहा- यह सिर्फ राजस्थान में नहीं, दुनिया में हो रहा
Source : News Nation Bureau