माओवाद के खिलाफ महामंथन शुरू, नक्सल प्रभाव कम करने की कवायद
यूपीए सरकार में पी चिदंबरम के गृह मंत्री रहते हुए यह कोशिश की गई थी कि उन 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को साल में एक बार गृह मंत्रालय के साथ बैठक के लिए बुलाया जाए, जहां माओवाद का असर है.
highlights
- पी चिदंबरम के गृह मंत्री रहते हुए शुरू हुई थी परंपरा
- अमित शाह 10 राज्य सरकारों के साथ कर रहे बैठक
- बीते सालों में माओवाद की घटनाओं में कमी आई
नई दिल्ली:
राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में गृह मंत्री अमित शाह गृह सचिव अजय भल्ला के नेतृत्व में 10 राज्य सरकारों के साथ गृह मंत्रालय की बैठक शुरू हो गई है. इसमें नक्सलवाद माओवाद के खिलाफ कारगर कार्यवाही और विकास कार्यों पर बल दिया जाएगा. उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री इस बैठक में अभी तक नहीं पहुंचे हैं, क्योंकि बीते कई सालों में यूपी में कोई नक्सली कार्यवाही नहीं हुई है. वहीं उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी इस बैठक से नदारद रहे हैं, लेकिन मध्य प्रदेश तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पहुंच चुके हैं. हालांकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने अपने मुख्य सचिव और डीजीपी को बैठक में शामिल होने के लिए भेजा है.
दरअसल यूपीए सरकार में पी चिदंबरम के गृह मंत्री रहते हुए यह कोशिश की गई थी कि उन 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को साल में एक बार गृह मंत्रालय के साथ बैठक के लिए बुलाया जाए, जहां माओवाद का असर है ताकि धीरे-धीरे माओवाद जैसी आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी इस समस्या से निपटा जा सके. हालांकि बीते सालों में माओवाद की घटनाओं में कमी आई है. फिर भी बीते 5 सालों में तकरीबन 380 सुरक्षा बलों की शहादत हुई है, जबकि 1000 से अधिक मासूम लोगों ने भी माओवाद के चलते अपनी जान गंवाई है. हालांकि 4200 अधिक माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है, 900 नक्सलियों को मुठभेड़ में मारा भी गया है.
इस बैठक के जरिए केंद्र और राज्य सरकारों के साथ अलग-अलग राज्य सरकारों के बीच इंटेलिजेंस शेयरिंग और कोआर्डिनेशन को बढ़ावा देने की कोशिश की जाती है ताकि भौगोलिक और जंगल के क्षेत्र का फायदा उठाकर नक्सली एक राज्य में घटना को अंजाम देकर दूसरे राज्य में ना भाग जाएं. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में एजुकेशन, हेल्थ, रोड इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देने की योजनाओं पर भी काम किया जाता है. भारत में माओवाद का असर लगातार कम हो रहा है जहां कुछ साल पहले 90 जिलों में माओवाद का असर था. वहीं 2019 में सिर्फ 60 जिलों में नक्सली घटना हुई, जबकि 2020 में इन जिलों की संख्या घटकर 45 हो गई है. विकास योजनाओं और सुरक्षाबलों के कोआर्डिनेशन की वजह से रेड कॉरिडोर का दायरा लगातार कम होता चला जा रहा है.
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