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NRC-NPR के बीच कोई संबंध नहीं है, अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं : अमित शाह

इस दौरान वो देश में मचे घमासान, पुलिस की बर्बरता और हिरासत केंद्रों की रिपोर्ट पर मीडिया के सवालों का जवाब देंगे.

Updated on: 24 Dec 2019, 08:11 PM

नई दिल्‍ली:

देश में एनपीआर, एनआरसी और सीएए पर मचे घमासान पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मीडिया से मुखातिब हुए. इस दौरान वो देश में मचे घमासान, पुलिस की बर्बरता और हिरासत केंद्रों की रिपोर्ट पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए बोले कि, NRC NPR और CAA के बीच कोई संबंध नहीं. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि, नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) के बीच कोई संबंध नहीं है, मैं आज इसे स्पष्ट रूप से बता रहा हूं. साक्षात्कार में अमित शाह ने यह भी कहा कि पूरे देश में अभी एनआरसी पर कोई बात नहीं हुई है.

गृहमंत्री अमित शाह ने इस साक्षात्कार में आगे कहा कि एनआरसी पर अभी चर्चा करने की कोई जरूरत नहीं है. एनपीआर देश का जनसंख्या रजिस्टर है. जो लोग इसके लिए प्रचार कर रहे हैं वो गरीबों और अल्पसंख्यकों का नुकसान कर रहे हैं. शाह ने कहा कि जब तक राज्यों में अन्य भाषा वाले राज्यों से आए लोगों के बच्चे कैसे वहां की स्थानीय भाषा में एजूकेशन लेंगे. गृहमंत्री अमित शाह ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे कि गुजरात में कुछ ओडिशा के परिवार आकर बस गए हों गुजरात में चूंकि प्राइमरी शिक्षा गुजराती भाषा में ही होती है तो ऐसे में सरकार ऐसे आंकड़े कहां से लाएगी कि उनके फलां राज्य में दूसरे राज्य के कितने लोग हैं एनपीआर रजिस्टर से हम आसानी से इस बात तक पहुंच जाएंगे कि कितने दूसरे राज्यों के लोग अन्य राज्यों में बस गए हैं. उसके बाद ही राज्य सरकार ये तय करेगी कि उनके यहां प्राइमरी एजूकेशन में कितनी भाषाओं में शुरू की जाए.

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शाह ने बताया कि साल 2010 में भी यूपीए ने एनपीआर करवाया था तब किसी को कोई आपत्ति नहीं हुई थी. उन्होंने कहा कि एनपीआर के आंकड़ों का एनआरसी के साथ कोई संबंधन नहीं हैं. कांग्रेस के बनाए गए कानून के तहत ही पूरी प्रक्रिया हो रही है. अमित शाह ने कहा कि, एनपीआर में किसी भी व्यक्ति को कोई डाटा नहीं देना होगा. एनपीआर में आधार नंबर देने में भी कोई हर्ज नहीं है. एनपीआर पर सियासी पार्टियां अल्पसंख्यकों को डराने की कोशिश कर रही हैं लेकिन उन्हें बिलकुल भी डरने की जरूरत नहीं है.एनपीआर के लागू होने के बाद देश के विकास में रफ्तार आएगी. 

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गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हम अन्य राज्यों से भी एनपीआर के मुद्दे पर चर्चा करेंगे जो राज्य इसे नहीं लागू कर रहे हैं हम उनसे बातचीत करेंगे उन्हें समझाएंगे क्योंकि मैं देश का गृहमंत्री होने के नाते यह नहीं चाहता कि बंगाल या केरल के गरीब एनपीआर से मिलने वाले फायदों से वंचित रह जाएं. एनपीआर का काम राज्य सरकार के कर्मचारी ही करेंगे अगर कोई व्यक्ति एनपीआर से छूट भी जाता है तो उसकी नागरिकता पर कोई सवाल नहीं उठाया जायेगा. जिन जगहों पर अन्य राज्यों से लोग आकर बसे हैं उनसे पूछा गया है कि वो पिछले कितने सालों से यहां रह रहे हैं ऐसा इसलिए है कि राज्य सरकारे जान सकें कि उनके पास रहने को घर उचित शिक्षा और अन्य मूलभूत सुविधाएं मिली हैं या नहीं.

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गृहमंत्री ने आगे सीएए पर बोलते हुए कहा कि जहां पर नागरिकता संशोधन कानून से कोई मतलब भी नहीं है वहां भी प्रोटेस्ट हो रहे हैं. नागरिकता कानून पर राजनीतिक पार्टियों ने लोगों को भड़काया है. शाह ने डिटेंशन सेंटर्स पर बोलते हुए कहा कि ये सेंटर एनआरसी या फिर सीएए के लिए नहीं बनाए गए हैं यह तो अवैध अप्रवासियों के लिए बनाए गए हैं अगर देश में कोई अवैध तरीके से देश में घुस आया हो तो उसे कहां रखा जाएगा इसलिए डिटेंशन सेंटर बनाए गए हैं. शाह ने आगे कहा कि मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जनगणना का और एनपीआर का एनआरसी से कोई संबंध नहीं है. एनपीआर में घर के साइज, पशुओं की जानकारी जैसी कुछ नई जानकारी मांगी गई है. जिसके आधार पर राष्ट्र की सारी योजनाओं का खाका बनता है. ऐसे सर्वे पहले न हुए होते तो हम गरीबों के घर गैस कनेक्शन न पहुंचा पाते. जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वो गरीबों का नुकसान कर रहे हैं.

अमित शाह ने विपक्षी पार्टियों पर हमला बोलते हुए कहा कि, इन लोगों ने इतने सालों तक अल्पसंख्यकों को डरा-डरा कर सभी को सुविधाओं से दूर रखा था. मोदी जी की सरकार आने के बाद अल्पसंख्यकों को घर, गैस, शौचालय और हेल्थ कार्ड मिला है. ये अभी भी उनको ये सारी सुविधाएं न मिलें इसीलिए कुछ विपक्ष की पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं. जनगणना के जुड़े जब लोग आएंगे तो उन्हें आपको सिर्फ जानकारी देनी होगी. कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी. जो जानकारी आप देंगे, उसका सरकार रजिस्टर बनाएगी. जो जानकारी मिलेगी, उससे देश के विकास का खाका तैयार होगा.

NPR को लेकर कहीं पर भी देश के किसी भी नागरिक को मन में ये शंका लाने का कोई कारण नहीं है और खासकर अल्पसंख्यकों के भाई-बहनों को कि इसका उपयोग NRC बनाने के लिए होगा, इसका कोई लेना-देना नहीं है ये कोरी अफवाहें फैलाई जा रही हैं. देश की जनगणना का संवैधानिक प्रोविजन 10 साल में करने का है। 2011 में पिछली जनगणना हुई थी, इसलिए अगली 2021 में होनी है. जनगणना की प्रक्रिया अप्रैल 2020 में शुरु होगी. तब मकानों की मैपिंग शुरु होगी. पूरी जनगणना और एनपीआर 2021 में होगा