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किसानों और मंत्रियों के बीच बैठक में अमित शाह के शामिल होने की संभावना

एक सूत्र ने पुष्टि की है कि राजनाथ सिंह, तोमर और गोयल किसान यूनियनों के साथ बातचीत करेंगे, जो संसद के मानसून सत्र के दौरान सितंबर में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों और इन विधानों में नए संशोधन के रूप में अपनी मांगों को आगे रखेंगे.

Updated on: 01 Dec 2020, 05:09 PM

नई दिल्ली:

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मंगलवार को यहां किसानों और एक उच्च स्तरीय कैबिनेट मंत्रियों की टीम के बीच बहुप्रतीक्षित बैठक में भाग लेने की संभावना है. सूत्रों ने बताया कि शाह मध्य दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर तीन बजे होने वाली बैठक में शामिल हो सकते हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे. पी. नड्डा के मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित आवास पर मंगलवार को किसानों के मुद्दे को सुलझाने के लिए शाह ने दो बैक-टू-बैक बैठकों में हिस्सा लिया, जिसमें केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल रहे.

हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है कि शाह, जो 11.30 बजे से दो बैठकों में लगे हुए हैं, वे 36 किसान यूनियनों के एक समूह के साथ बैठक में भाग लेंगे या नहीं. इस बीच एक सूत्र ने पुष्टि की है कि राजनाथ सिंह, तोमर और गोयल किसान यूनियनों के साथ बातचीत करेंगे, जो संसद के मानसून सत्र के दौरान सितंबर में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों और इन विधानों में नए संशोधन के रूप में अपनी मांगों को आगे रखेंगे.

जैसा कि किसान यूनियनों ने बातचीत करने के लिए केंद्र सरकार के निमंत्रण को स्वीकार करने का फैसला किया है, सूत्र ने कहा कि शाह के वार्ता में उपस्थित होने की संभावना है, ताकि उन्हें सरकार के लिए उनके महत्व का भी पता लगे. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के हजारों किसान 26 नवंबर से दिल्ली से लगने वाली पड़ोसी राज्यों की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

वर्तमान में ये किसान दिल्ली के सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें मांग की गई है कि केंद्र संसद द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों को निरस्त करे. उन्होंने मंगलवार दोपहर को सिंघू बॉर्डर पर तीन घंटे की लंबी बैठक के बाद सरकार के साथ बातचीत करने पर सहमति व्यक्त की. पिछली देर रात ही कृषि मंत्री ने उन्हें बातचीत का निमंत्रण दिया था. इससे पहले, सरकार ने तीन दिसंबर को किसानों के साथ बातचीत करने का फैसला किया था.