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पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की जनगणना 2021 की प्रक्रिया शुरू करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने की अनुमति दे दी है. इसे लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के बीच कोई लिंक नहीं है. देशभर में एनआरसी पर कोई बात नहीं हो रही है. इस पर बहस की कोई जरूरत नहीं है. अमित शाह की जुबानी 15 प्वाइंट में जानें.
- मैं (अमित शाह) सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जनगणना का और एनपीआर का एनआरसी से कोई संबंध नहीं है.
- जब 2010 में यूपीए सरकार की ओर से NPR किया गया था तो तब यह सवाल क्यों नहीं किया गया?. जब हम वही काम करते हैं, तो हमसे पूछताछ की जाती है. यह किस प्रकार का प्रश्न है?.
- एनपीआर में घर के साइज, पशुओं की जानकारी जैसी कुछ नई जानकारी मांगी गई है. जिसके आधार पर राष्ट्र की सारी योजनाओं का खाका बनता है. अगर ऐसे सर्वे पहले न हुए होते तो हम गरीबों के घर गैस कनेक्शन न पहुंचा पाते. जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वो गरीबों का नुकसान कर रहे हैं.
- इन लोगों ने इतने सालों तक अल्पसंख्यकों को डरा-डरा कर सभी को सुविधाओं से दूर रखा था. मोदी जी की सरकार आने के बाद अल्पसंख्यकों को घर, गैस, शौचालय और हेल्थ कार्ड मिला है. ये अभी भी उनको ये सारी सुविधाएं न मिलें इसीलिए कुछ विपक्ष की पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं.
- मैं पश्चिम बंगाल और केरल के सीएम से अनुरोध करना चाहता हूं कि सीएए को बंद न करें. इसमें उन गरीब लोगों को शामिल किया जाएगा, जिन्हें केंद्र सरकार से लाभ मिलेगा. उन्हें गरीबों के लिए बढ़ाए गए लाभों को नहीं लेना चाहिए.
- नागरिक संशोधन विधेयक में भी किसी की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान ही नहीं है, ये नागरिकता देने का प्रावधान है.
- मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि सीएए केवल नागरिकता प्रदान करने के बारे में है, और किसी से कुछ भी नहीं छीनता है. मुझे खुशी है कि भारत के लोग अब इसे समझ रहे हैं. इस वजह से विरोध प्रदर्शन शांत हो रहे हैं.
- एनपीआर के लिए किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है. लोगों से किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं है. सरकार केवल सूचना का एक रजिस्टर बना रही है. इस प्रक्रिया में आधार प्रदान करने का प्रावधान है, जैसे यह 2010 में था.
- हर 10 साल में जनगणना करना संवैधानिक प्रावधान है. किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि इसका उपयोग एनआरसी के लिए किया जाएगा. खासकर अल्पसंख्यकों को इससे डरना नहीं चाहिए. ये दो अलग-अलग प्रथाएं हैं.
- अब जब CAA की बहस खत्म हो रही है, NRC के इर्द-गिर्द घूमकर एक नई राजनीतिक बहस का निर्माण किया जा रहा है. कोई भी अफवाह सच नहीं है. ये दो अलग-अलग विधान हैं और एक-दूसरे से संबंधित नहीं हैं.
- जनगणना के जुड़े जब लोग आएंगे तो उन्हें आपको सिर्फ जानकारी देनी होगी. कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी. जो जानकारी आप देंगे, उसका सरकार रजिस्टर बनाएगी. जो जानकारी मिलेगी, उससे देश के विकास का खाका तैयार होगा.
- देश की जनगणना का संवैधानिक प्रोविजन 10 साल में करने का है. 2011 में पिछली जनगणना हुई थी, इसलिए अगली 2021 में होनी है. जनगणना की प्रक्रिया अप्रैल 2020 में शुरू होगी. तब मकानों की मैपिंग शुरू होगी. पूरी जनगणना और एनपीआर 2021 में होगा.
- NPR किसी की नागरिकता नहीं लेता है. यह एक क्षयकारी व्यायाम है. यह उन लोगों को मैप करता है जो नए राज्यों में स्थानांतरित हो गए हैं. यह नए बच्चों को पंजीकृत करता है और ऐसे लोगों को हटा देता है जो मृत हैं. कुछ भी नया नहीं किया जा रहा है. प्रत्येक वस्तु को अतीत में किया गया है.
- NPR को लेकर कहीं पर भी देश के किसी भी नागरिक को मन में ये शंका लाने का कोई कारण नहीं है और खासकर अल्पसंख्यकों के भाई-बहनों को कि इसका उपयोग NRC बनाने के लिए होगा, इसका कोई लेना-देना नहीं है. कोरी अफवाहें फैलाई जा रही हैं.
- अगर कोई बसों या दुकानों को जलाता है, तो पुलिस उन्हें क्या नहीं रोक सकती है?. पुलिस तभी गोली चला सकती है जब वह किसी की जान बचाने के लिए उतरे. यदि नहीं, तो वे अपना कर्तव्य नहीं निभा रहे हैं.
- CAA पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए लोगों को नागरिकता देने का कानून है. ये भारत में रह रहे किसी भी व्यक्ति की नागरिकता लेने का कानून नहीं है. कुछ लोगों द्वारा भ्रम फैलाया गया जिसके कारण हिंसा हुई.
Source : News Nation Bureau
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