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Amit Shah claim Modi government will never give to PoK know
लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 को लेकर चर्चा हुई. इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सदस्यों के मन के भाव को समझ रहा हूं, क्योंकि सब लोग 70 साल से एक दर्द को दबाकर बैठे हैं. उन्होंने कहा कि कहा जाता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन किसी अन्य राज्य को नहीं बोलते. उसकी वजह 370 है, क्योंकि इसी ने जनमानस के मन में शंका पैदा की थी, कश्मीर भारत का अंग है या नहीं. धारा 370 कश्मीर को भारत से जोड़ती नहीं बल्कि जोड़ने से रोकती है, जो आज सदन के आदेश के बाद खत्म हो जाएगी. जानें अमित शाह की 10 बड़ी बात
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अमित शाह ने कहा कि एक बार देश के प्रधानमंत्री की दृढ़ राजनीति को नमन करना चाहता हूं. उन्होंने साहस दिखाकर इसे खत्म करने का फैसला लिया. उन्होंने कहा कि उचित समय और हालात सामान्य होते ही जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर सरकार को कोई आपत्ति नहीं है.
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार पीओके (PoK) पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को कभी देने वाली नहीं है. वहां की 24 सीटें आज भी हमारा हिस्सा रहने वाली हैं. इस पर हमारा दावा उतना ही मजबूत है जितना पहले था.
अमित शाह ने कहा कि कश्मीर मुद्दा 1948 में UN में पहुंचा था. लेकिन जब भारत-पाकिस्तान ने UN को प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया तब किसी भी देश की सेना को सीमाओं के उल्लंघन का अधिकार नहीं था. लेकिन 1965 में पाकिस्तान की ओर से सीमा का उल्लंघन करने पर यह प्रस्ताव खारिज हो गया था. जम्मू कश्मीर के लिए इस सदन को संपूर्ण अधिकार हासिल हैं कोई भी बाध्यता नहीं है.
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अमित शाह ने कहा कि इसी रास्ते पर चलकर कांग्रेस ने 2 बार 370 के अंदर संशोधन किया है. क्या उस वक्त वो रास्ता ठीक था, रास्ता तो ठीक है, लेकिन यह आपके वोट बैंक के आड़े आता है इसलिए आपको ठीक नहीं लगता है. उन्होंने सुप्रिया सुले के सवालों पर कहा कि वहां 1989-95 तक आतंकवाद इतना बढ़ा कि सालों तक कश्मीर में कर्फ्यू रखना पड़ा था. हमने स्थिति न बिगड़े इसके लिए इंतजाम किए हैं.
अमित शाह ने कहा कि 70 साल तक चर्चा चल रही है तीन पीढ़िया आ गईं, जो पाकिस्तान से प्रेरणा लेते हैं उनसे चर्चा करें, हम हुर्रियत से चर्चा नहीं करना चाहते हैं. अगर घाटी के लोगों में कोई शंका है तो हम उन्हें सीने से लगाएंगे और चर्चा भी करेंगे. गृह मंत्री ने लोकसभा में कहा, जम्मू-कश्मीर ने दर्द को सहा है और 40 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं. उनके विकास के लिए जो भी करना है वो हम करके दिखाएंगे. मोदीजी का दिल बड़ा है पहले कार्यकाल में सवा लाख करोड़ दिया था, जिसमें से 80 हजार करोड़ खर्च हो चुका है और भी देने जा रहे हैं.
अमित शाह ने कहा कि इतिहास में जो गलतियां हुई थीं उन्हें हम नहीं दोहराने जा रहे. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी हर राज्य की समस्या है, लेकिन वहां आतंकवाद क्यों नहीं पनपा, धारा 370 से घाटी में अलगाववाद बढ़ा, जिस पर पाकिस्तान ने पेट्रोल डालने का काम किया. आंध्र का विभाजन बगैर चर्चा के हुआ. विधानसभा ने प्रस्ताव खारिज किया, मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया, फिर आपने कैसी चर्चा करके यह फैसला लिया. अगर आपने किया तो अब हमें क्यों टोक रहे हैं. मार्शलों ने सांसदों को बाहर फेंका, काला दिन आज नहीं है, काला दिन वो था.
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अमित शाह ने आगे कहा, केंद्र शासित प्रदेश का सवाल है तो बता दूं कि यह लद्दाख की मांग थी, लेकिन कश्मीर के बारे में फिर से विचार किया जाएगा. नेहरू ने तो 370 को भी अस्थाई बताया था उसे हटाने में 70 साल लगे, लेकिन हमें 70 साल नहीं लगेंगे. जम्मू कश्मीर में विधानसभा, मुख्यमंत्री, मंत्री सब रहेंगे. जनमत संग्रह तभी खत्म हो गया जब पाकिस्तान ने भारत की सीमाओं को तोड़ा था, अब यूएन में जनमत संग्रह का कोई मुद्दा नहीं है. घाटी में स्थिति न बिगड़े इसके लिए कर्फ्यू डाला है, स्थिति बिगड़ी है इसलिए नहीं लगाया. जम्मू कश्मीर के लिए बनाया गया कानून किसी भी सूरत में सांप्रदायिक नहीं हो सकता है. इस आरोप में सिरे से खारिज करता हूं.
गृह मंत्री ने आगे कहा, 41 हजार लोग मारे गए फिर भी क्या हम उसी रास्ते पर चलना चाहते हैं. 70 साल इसी रास्ते पर चले हैं. अब क्या रास्ता बदलना नहीं चाहिए, कब तक वोट बैंक की राजनीति करते रहेंगे, कब देश हित और घाटी के हित के बारे में सोचेंगे, लद्दाख के युवाओं के बारे में कब सोचेंगे. जम्मू कश्मीर के अंदर मोदी सरकार में होने वाले विकास को पूरी दुनिया देखेगी.
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उन्होंने कहा, हम सिर्फ वोट बैंक और चुनावी फायदे के लिए ऐसे फैसले नहीं लेते, बल्कि देश हित और देश की सुरक्षा के लिए ऐसे फैसले लिए जाते हैं. घाटी की जनता की भलाई के लिए ही यह फैसले लिए जा रहे हैं. धारा 370 के फायदों के बारे में एक भी सदस्य ने नहीं बताया अगर इसे चालू रखना है तो इसका कुछ फायदा भी तो होना चाहिए.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, जो कश्मीर में धारा 370 लागू रखना चाहते हैं वह लोग बाल विवाह का समर्थन करते हैं और उसे जारी रखना चाहते हैं. जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में आज तक बाल विवाह कानून लागू नहीं है. वहां के सिख, जैन और बौद्ध भाइयों के लिए अल्पसंख्यक आयोग क्यों नहीं बनना चाहिए. शिक्षा का अधिकार जम्मू-कश्मीर के बच्चों को क्यों नहीं मिलना चाहिए. भूमि अधिग्रहण और दिव्यागों को लिए बने कानून में वहां लागू नहीं होते हैं. देशभर में परिसीमन हुआ, लेकिन जम्मू-कश्मीर में कितनी भी आबादी बढ़ जाए, लेकिन परिसीमन नहीं हो सकता क्योंकि वोट बैंक को परेशानी हो रही थी, लेकिन 370 के हटते ही परिसीमन किया जा सकेगा.