NHRC के स्थापना दिवस पर अमित शाह बोले: कश्मीर में करीब 40,000 लोग आतंकवाद की भेंट चढ़ गए, मानवाधिकार कहां?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस समारोह में गृहमंत्रालय अमित शाह (Amit Shah) ने शिरकत की. इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, 'गत वर्ष भारत के मानवाधिकार आयोग ने अपनी सिल्वर जुबली मनाई है.
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस समारोह में गृहमंत्रालय अमित शाह (Amit Shah) ने शिरकत की. इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, 'गत वर्ष भारत के मानवाधिकार आयोग ने अपनी सिल्वर जुबली मनाई है. मानवाधिकार आयोग ने अपने इन 26 साल में भारत के जनमानस में मानव अधिकार के प्रति जागरुकता जगाने के ढेर सारे प्रयास किए हैं.'
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति, हमारा देश, हमारा समाज वर्षों से संकुचित सोच से ऊप वसुधैव कुटुंबकम की भावना से सोचने वाला देश हैं. जब आप पूरे विश्व को अपना परिवार समझते हो तो वसुधैव कुटुंबकम के अंदर ही मानवाधिकार का दायित्व समाहित दिखाई पड़ता है.'
अमित शाह ने कहा, 'जहां तक बच्चों, महिलाओं के मानवाधिकार का सवाल है, हमारे देश और समाज में मानवाधिकार से संबंधित व्यवस्थाएं पहले से इनबिल्ट हैं. हमारी परिवार व्यवस्था के अंदर ही महिलाओं और बच्चों के अधिकार की बहुत सारी चीजें बिना कानून के सुरक्षित हैं.'
इसे भी पढ़ें:पाकिस्तान (Pakistan) के नापाक इरादों को लगा झटका, जम्मू-कश्मीर के 99 प्रतिशत इलाकों से हटी पाबंदियां
उन्होंने आगे कहा कि गांधी जी के 150 साल हम मनाने जा रहे हैं. पूरा विश्व गांधी जी के सिद्धांतों के आधार पर आगे बढ़ने के लिए गांधी का 150वां वर्ष उपयोग करने जा रहा है. हम सब चाहते हैं कि गांधी जी के सिद्धांत रिलिवेंट होकर सामने रखे जाएं क्योंकि गांधीजी के सिद्धांत शाश्वत हैं, अटल हैं.
महात्मा गांधी जी ने एक भजन को सबके सामने रखा था- वैष्णव जन तो तेने कहिए...इस भजन के एक-एक वाक्य का भावार्थ हम लोगों के सामने रखेंगे तो इससे बड़ा मानवाधिकार के लिए कोई चार्टर हो ही नहीं सकता.
अमित शाह ने आगे कहा, 'हमारी सरकार ने एक अलग प्रकार से मानवाधिकार के लिए लड़ाई लड़ी है और सफलता भी प्राप्त की है. हम सबका साथ सबका विकास का कंसेप्ट लेकर चलते हैं.'
गृहमंत्री ने आगे सभा को संबोधित करते हुए कहा, 'आजादी के 70 साल तक देश में 5 करोड़ लोगों के पास घर नहीं था, 3.5 करोड़ लोगों के घर में बिजली नहीं थी, 50 करोड़ लोगों के पास स्वास्थ्य सुरक्षा नहीं थी, महिलाओं को शौचालय उपलब्ध नहीं थे, क्या ये इन लोगों के मानवाधिकार का हनन नहीं है?'
अमित शाह ने आगे कहा कि आतंकवाद और नक्सलवाद से बड़ा कोई मानवाधिकार के हनन का कारक नहीं हो सकता. कश्मीर में करीब 40,000 से ज्यादा लोग आतंकवाद की भेंट चढ़ गए, क्या उनके परिवारों का मानवाधिकार कुछ नहीं है.
और पढ़ें:नजरबंदी में भी महबूबा मुफ्ती की हेकड़ी है कायम, अब लगाया झूठ बोलने का आरोप
भारत का संविधान हम सबके लिए सर्वोच्च है.संविधान के अंदर जो अधिकार सब नागरिकों को मिले हैं उसकी रक्षा करना हमारा काम है, व्यवस्था का काम है, सरकार का काम है, मानवाधिकार आयोग जैसे संगठनों का काम है.एक भी व्यक्ति अकारण पुलिस कस्टडी में न मरे, एक भी व्यक्ति एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग का भोगी न बने, वो हमारा दायित्व तो है ही, मगर साथ ही हर व्यक्ति को सम्मान के साथ जीने की व्यवस्था मिले ये भी हमें करना पड़ेगा.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Maa Laxmi Shubh Sanket: अगर आपको मिलते हैं ये 6 संकेत तो समझें मां लक्ष्मी का होने वाला है आगमन
-
Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज के इन विचारों से जीवन में आएगा बदलाव, मिलेगी कामयाबी
-
Aaj Ka Panchang 29 April 2024: क्या है 29 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Arthik Weekly Rashifal: इस हफ्ते इन राशियों पर मां लक्ष्मी रहेंगी मेहरबान, खूब कमाएंगे पैसा