विरोध के बीच नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 15 याचिकाएं दायर, आज सुनवाई संभव

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अदालती लड़ाई की जमीन भी तैयार हो गई है. इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अब तक 15 याचिकाएं डाली गई हैं. आज भी कुछ याचिकाएं डाली जा सकती है.

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अदालती लड़ाई की जमीन भी तैयार हो गई है. इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अब तक 15 याचिकाएं डाली गई हैं. आज भी कुछ याचिकाएं डाली जा सकती है.

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Sunil Mishra
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विरोध के बीच नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 15 याचिकाएं दायर, आज सुनवाई संभव

विरोध के बीच नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ SC में 15 याचिकाएं दायर( Photo Credit : File Photo)

नागरिकता संशोधन कानून का विरोध व्‍यापक हो चला है. असम सहित पूरे पूर्वोत्‍तर के अलावा पश्‍चिम बंगाल, बिहार, दिल्‍ली में इस कानून के विरोध में हिंसा शुरू हो गई है. उत्‍तर प्रदेश के लखनऊ, अलीगढ़ और महाराष्‍ट्र की राजधानी मुंबई में भी इस आंदोलन की आंच पहुंच गई है. एक दिन पहले दिल्‍ली के जामिया नगर इलाके में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गया, जिसमें 3 बसें फूंक दी गईं. कई छात्र और पुलिसवाले भी घायल बताए जा रहे हैं. दूसरी ओर, इस कानून के खिलाफ अदालती लड़ाई की जमीन भी तैयार हो गई है. इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अब तक 15 याचिकाएं डाली गई हैं. आज भी कुछ याचिकाएं डाली जा सकती है.

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कांग्रेस की ओर से आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ याचिका डाली जाएगी. इस मामले की जल्‍द सुनवाई की भी मांग की जा रही है. सर्वोच्च अदालत में अब तक पीस पार्टी, रिहाई मंच, जयराम रमेश, प्रद्योत देब बर्मन, जन अधिकार पार्टी, एमएल शर्मा, AASU, असदुद्दीन ओवैसी, महुआ मोइत्रा की ओर से याचिकाएं डाली गई हैं.

कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी आज चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की कोर्ट के सामने इस याचिका को मेंशन करेंगे और जल्द सुनवाई की अपील करेंगे. असम गण परिषद भी इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी. वहीं पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलेगा.

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मोदी सरकार ने बीते संसद सत्र में दोनों सदनों से नागरिकता संशोधन बिल पास कराया था, जो राष्‍ट्रपति की मंजूरी के साथ ही कानून बन गया है. इस कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान से आने वाले हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को भारत में नागरिकता आसानी से मिल जाएगी. नागरिकता मिलने का समय भी 11 साल से घटाकर 6 साल कर दिया गया है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार सिर्फ एक धर्म विशेष को इस बिल के बाहर रखकर संविधान के अनुच्‍छेद 14 का उल्लंघन कर रही है.

Source : न्‍यूज स्‍टेट ब्‍यूरो

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