S-400 के बाद मोदी सरकार के इस फैसले से बाइडन प्रशासन की बढ़ेंगी मुश्किलें
मोदी सरकार रूस से 30 लाख बैरल तेल लेने की योजना पर काम कर रही है. हालांकि भारत रूस से तेल का आयात करने वाला अकेला देश नहीं है.
highlights
- मोदी सरकार प्रतिबंधों के बीच रूस से लेने जा रही 30 लाख बैरल तेल
- कोरोना से अर्थव्यवस्था पर आई दुश्वारियों से निजात पाने का है मकसद
- प्रतिबंधों के आलोक में भारत के इस कदम से बढ़ेगी अमेरिका की चिंता
नई दिल्ली:
यूक्रेन (Ukraine) पर रूस के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समीकरण तेजी से बदले हैं. खासकर भारत (India) के कूटनीतिक संबंधों के लिहाज से देखें तो परंपरागत मित्र रूस और सामरिक साझेदार रूस को लेकर मोदी सरकार का फिलहाल रुख तटस्थ है. यह अलग बात है कि भारत के इस रुख ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) के रूस के खिलाफ प्रतिबंधात्मक अभियान को चुनौती दे डाली है. बाइडन प्रशासन रूस (Russia) के खिलाफ दुनिया भर को एकजुट करने की मुहिम में जुटा है. हालांकि चीन और भारत ने उसके लिए स्थिति थोड़ी गंभीर कर दी है. इसकी वजह बन रही है मोदी सरकार (Modi Government) की अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल (Crude Oil) खरीदने की मंशा. भारत अपने आर्थिक हितों के लिहाज से इस ओर कदम बढ़ा रहा है.
रूस से मोदी सरकार लेगी 30 लाख बैरल तेल
समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के आधार पर एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि भारत रूसी तेल के आयात को बढ़ाकर ऊर्जा आपूर्ति पर छूट को बढ़ावा देगा, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था कोरोना संक्रमण से उपजी आर्थिक दुश्वारियों से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है. बताते हैं कि मोदी सरकार रूस से 30 लाख बैरल तेल लेने की योजना पर काम कर रही है. हालांकि भारत रूस से तेल का आयात करने वाला अकेला देश नहीं है. जर्मनी सरीखे अमेरिका के कई यूरोपीय सहयोगी देश भी ऐसा कर रहे हैं. जाहिर है ऐसे में इन देशों के इस फैसले से प्रतिबंध लगाकर रूसी अर्थव्यवस्था को अलग-थलग करने के बाइडन के प्रयासों को धक्का लगा है.
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एस-400 सौदे से भी असहज है अमेरिका
भारत का रूस से तेल खरीद बढ़ाना अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना सकता है, जिसका संकेत भारत द्वारा हाल ही में उन्नत रूसी एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद के दौरान मिल चुका है. व्हाइट हाउस अभी भी इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या उस खरीद के लिए भारत पर प्रतिबंध लगाए जाएं. ऐसे में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद इस मामले में नया मोड़ आ गया है. हालांकि व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने पिछले दिनों भारत के रूस से रियायती दरों पर तेल आयात करने से जुड़े सवाल पर कहा था कि इससे फर्क नहीं पड़ेगा. हालांकि उन्होंने इसके परोक्ष असर की नसीहत भी भारत को दी थी.
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रूस दे रहा है डिस्काउंट
अमेरिका और उसके सहयोगी नाटो देशों ने रूस पर तमाम प्रतिबंध लगाए हैं. ऐसे में पुतिन प्रशासन ने भारत को कच्चा तेल और कुछ अन्य उत्पाद डिस्काउंट रेट पर देने का फैसला किया है. यह तब है जब अमेरिकी प्रतिबंधों के आलोक में कई यूरोपीय कंपनियां रूस से तेल नहीं खरीद रही हैं. हालांकि भारत तेल का एक बड़ा आयातक देश है. फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस अब तक भारत को 360,000 बैरल तेल निर्यात कर चुका है. 2021 के औसत के हिसाब से देखें तो यह चार गुना है. रिपोर्ट में कमोडिटीज और एनालिटिक्स फर्म केपलर के हवाले से कहा गया है कि रूस से जो शिपमेंट शिड्यूल है उस हिसाब से इस पूरे महीने भारत को 203,000 बैरल प्रतिदिन तेल निर्यात होगा.
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