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Russia Ukraine War के बीच अंततः बोरिस जॉनसन आ रहे भारत, अहम रहेगा दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन समकक्ष बोरिस जॉनसन के बीच आखिरी मुलाकात पिछले साल नवंबर में ग्लासगो में हुई थी.

Updated on: 17 Apr 2022, 07:00 AM

highlights

  • ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन 21 अप्रैल को आ रहे हैं भारत
  • बीते साल कोरोना की वजह से दो बार रद्द हुआ था भारत दौरा
  • रूस-यूक्रेन युद्ध समेत व्यापारिक-सामरिक हितों पर होगी बातचीत

नई दिल्ली:

कोरोना कहर (Corona Epidemic) की वजह से दो बार भारत यात्रा रद्द होने के बाद अंततः ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) दो दिवसीय दौरे पर 21 अप्रैल को आ रहे हैं. पिछले साल जनवरी में गणतंत्र दिवस और फिर अप्रैल में दौरा रद्द होने के बाद ब्रिटिश पीएम का भारत दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के बीच भारत अपने परंपरागत मित्र रूस और रणनीतिक साझेदार अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देशों के बीच संतुलन साधे हुए है. बोरिस जॉनसन भारत दौरे के दौरान गुजरात भी जाएंगे. माना जा रहा है कि द्विपक्षीय साझेदारी के साथ ही भारत-ब्रिटेन के बीच सामरिक और रूस-यूक्रेन युद्ध मसले पर भी बातचीत होगी. 

बीते महीने फोन पर हुई थी बातचीत
ब्रिटिश के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की कोरोना वायरस की वजह से दो बार यात्रा को रद्द करना पड़ा था. बोरिस जॉनसन पहली बार पिछले साल जनवरी में गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने वाले थे, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से दौरा रद्द करना पड़ा था. इसके बाद अप्रैल में भी कोरोना की वजह से दौरा रद्द करना पड़ा. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन समकक्ष बोरिस जॉनसन के बीच आखिरी मुलाकात पिछले साल नवंबर में ग्लासगो में हुई थी.

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चौथे वैश्विक नेता हैं जो पीएम मोदी से करेंगे बातचीत
हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बीते महीने भी पीएम मोदी और बोरिस जॉनसन के बीच फोन पर बातचीत हुई थी. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ब्रिटिश पीएम जॉनसन चौथे वैश्विक नेता होंगे जिनसे पीएम मोदी की आमने सामने या वर्चुअल मुलाकात होगी. गौरतलब है कि जापान व ऑस्ट्रेलिया के पीएम के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ पीएम मोदी की वार्ता हो चुकी है. बीते महीने फोन पर चर्चा के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय हितों के मुद्दों पर भी चर्चा की थी और व्यापार, प्रौद्योगिकी, निवेश, रक्षा और सुरक्षा, व लोगों से लोगों के संबंधों सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने की क्षमता पर सहमति व्यक्त की थी.