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14 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन के बीच किसानों की भूख हड़ताल

किसानों की तरफ से आंदोलन और तेज करने का ऐलान आज किया गया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी सरकार किसान कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है.

Updated on: 13 Dec 2020, 11:44 AM

नई दिल्ली:

किसान नेताओं ने अपनी मांगों पर कायम रहते हुए कहा कि वे सरकार से वार्ता को तैयार हैं, लेकिन पहले तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने पर ही बातचीत होगी. किसानों ने घोषणा की कि उनकी यूनियनों के प्रतिनिधि 14 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन के दौरान भूख हड़ताल पर बैठेंगे. किसान नेता कंवलप्रीत सिंह पन्नू ने कहा कि रविवार को हजारों किसान राजस्थान के शाहजहांपुर से जयपुर-दिल्ली राजमार्ग के रास्ते सुबह 11 बजे अपने ट्रैक्टरों से 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू करेंगे. शाहजहांपुर और दिल्ली-गुड़गांव सीमा के बीच दूरी करीब 94 किलोमीटर है. 

तेज होगा आंदोलन
आंदोलन को और तेज करने की रणनीति साझा करते हुए किसान नेता ने घोषणा की कि उनकी माताएं, बहनें और बेटियां भी जल्द प्रदर्शन में शामिल होंगी. प्रदर्शन स्थलों पर उनकी सुरक्षा के इंतजाम किये जा रहे हैं. किसानों की तरफ से आंदोलन और तेज करने का ऐलान आज किया गया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी सरकार किसान कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है तथा तीनों कानूनों का उद्देश्य आय बढ़ाने के लिए उन्हें वैकल्पिक बाजार उपलब्ध कराने का है.

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सरकार से बातचीत तभी जब कानून निरस्त
किसान नेता पन्नू ने कहा कि देश के अन्य हिस्सों से भी किसान यहां आ रहे हैं और वे आने वाले दिनों में आंदोलन को अगले स्तर पर पहुंचाएंगे. उन्होंने कहा कि पुलिस किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने के लिए अवरोधक लगा रही है, लेकिन वे किसी भी तरह प्रदर्शन में शामिल होंगे और आने वाले दिनों में इसे अगले स्तर पर ले जाएंगे. पन्नू ने कहा, 'अगर सरकार बात करना चाहती है तो हम तैयार हैं, लेकिन हमारी मुख्य मांग तीनों कानूनों को रद्द करने की रहेगी. हम उसके बाद ही अपनी अन्य मांगों पर आगे बढ़ेंगे.' 

14 दिसंबर को भूख हड़ताल
उन्होंने बताया कि किसान संगठनों के नेता नये कृषि कानूनों के खिलाफ 14 दिसंबर को सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल करेंगे. पन्नू ने आरोप लगाया कि सरकार ने आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने ऐसा नहीं होने दिया. उन्होंने प्रदर्शन शांतिपूर्ण रखने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, 'सरकार ने हमें बांटकर आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास किया. मैं कहना चाहता हूं कि जारी आंदोलन पूरी तरह 32 किसान संघों के नियंत्रण में है. हम विभाजित करने के सरकार के हर प्रयास को विफल कर देंगे.' 

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सरकार ने आंदोलन के हाईजैक होने का आरोप लगाया
गौरतलब है कि सरकार ने शुक्रवार को प्रदर्शनकारी किसानों को आगाह किया था कि वे अपने मंच का दुरुपयोग नहीं होने दें क्योंकि कुछ असामाजिक और वामपंथी तथा माओवादी तत्व आंदोलन के माहौल को बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं. टीकरी बॉर्डर पर कुछ प्रदर्शनकारियों के हाथों में विभिन्न आरोपों में गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को छोड़ने की मांग वाले पोस्टर लिये हुए तस्वीरें सामने आने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि ये असामाजिक तत्व किसानों के भेष में शांतिपूर्ण आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं. 

सरकार कानून नहीं निरस्त करने के रुख पर कायम
सितंबर में बनाए गए तीन कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के रूप में पेश किया है. सरकार का कहना है कि इससे बिचौलिये हट जाएंगे और किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकेंगे. हालांकि, प्रदर्शन कर रहे किसानों को आशंका है कि नये कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था और मंडियां खत्म हो जाएंगी, जिससे वे कॉरपोरेट की दया पर निर्भर रह जाएंगे.