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Kishori Lal Sharma( Photo Credit : social media)
लोकसभा सीट अमेठी से इंडिया गठबंधन में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा की जीतने के बाद अब बड़ी मुश्किल खड़ी होने वाली है. क्योंकि किशोरी लाल शर्मा ने नामांकन करते समय अपने एफिडेफिट में 17 वीं लोकसभा के नामांकन हेतु नामांकन पत्र दाखिल किया था. जबकि यह 18 वीं लोकसभा का चुनाव संपन्न हुआ है. जिसमें किशोरी लाल शर्मा भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को 167000 से अधिक मतों से पराजित कर सांसद बने हैं. ऐसे में बड़ा सवाल जिला निर्वाचन अधिकारी और निर्वाचन आयोग के ऊपर भी खड़ा हो रहा है. क्या निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष तरीके से काम नहीं किया है?
नामांकन पत्र ही रद्द किया जा सकता था
ऐसे में यदि चुनाव आयोग पक्षपात न करता तो कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा की अप्रत्याशिता भी रद्द हो सकती थी वह चुनाव ही नहीं लड़ सकते थे. 3 मई 2024 को नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद आखिर निर्वाचन आयोग नामांकन पत्रों की जांच कैसे किया कि इतनी बड़ी कमी छूट गई. इस आधार पर किशोरी लाल शर्मा का नामांकन पत्र ही रद्द किया जा सकता था. हालांकि उस समय किसी का ध्यान इस कमी पर नहीं गया. इसलिए न तो आयोग और न ही विपक्ष किसी के द्वारा कोई आपत्ति नहीं दाखिल की गई. लेकिन चुनाव संपन्न होने के बाद अब वह एफिडेविट वायरल होने लगा है.
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जांच स्वयं चुनाव आयोग करता है
यहां उल्लेखनीय है कि चुनाव परिणाम घोषित हो चुका है ऐसे में अब अब निर्वाचन आयोग के द्वारा कोई कार्यवाही की उम्मीद नहीं है. ऐसे में अब भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में याचिका करने का मन बना रही है. इसमें निर्वाचन आयोग को पार्टी भी बनाएगी. क्योंकि लोकसभा प्रत्याशियों के उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच स्वयं चुनाव आयोग करता है. चुनाव आयोग के अधिकारियों की लापरवाही के कहें या फिर अनदेखी जिसका लाभ किशोरी लाल शर्मा को मिला और उनका नामांकन पत्र वैध पाया गया तथा मजबूती से चुनाव लड़ते हुए अमेठी के सांसद बन गए.
17वीं लोकसभा का जो एफिडेविट दाखिल किया गया
कानून के जानकार एवं वरिष्ठ अधिवक्ता उमाशंकर पांडेय ने बताया कि नामांकन पत्र के साथ यदि कोई त्रुटि पूर्ण शपथ पत्र दाखिल किया जाता है तो नामांकन पत्र पूर्ण रूप से निरस्त कर दिया जाना चाहिए. इस नामांकन पत्र के साथ जो एफिडेविट दाखिल किया गया है. वह 18वीं लोकसभा का दाखिल ही नहीं किया गया है. इसलिए 17वीं लोकसभा का जो एफिडेविट दाखिल किया गया है वह एफिडेविट इस नामांकन पत्र के साथ पढ़ा नहीं जाएगा. इसलिए यह नामांकन पत्र पूर्ण रूप अवैध है. क्योंकि नामांकन पत्र ही पूर्ण रूप से अवैध है इसलिए उनका पूरा निर्वाचन ही अवैध हो गया.
शपथ पत्र में जो 17वीं लोकसभा लिखा गया है. वह गलती को सुधारा जाना चाहिए था लेकिन अगर सुधर नहीं किया गया तो यह नहीं माना जा सकता कि वह 15 वीं, 14वीं लोकसभा का है या फिर 18वीं का है अथवा आने वाली किसी लोकसभा का. ऐसे में जब यह स्पष्ट रूप से लिख दिया गया कि यह 17 वीं लोकसभा का शपथ पत्र है तो वह 17 वीं लोकसभा के लिए ही माना जाएगा. वह 18वीं लोकसभा का शपथ पत्र नहीं पढ़ा जाएगा. इसलिए 18वीं लोकसभा के शपथ पत्र के अभाव में किशोरी लाल शर्मा का नामांकन पत्र अवैध है और उनका पूरा निर्वाचन भी अवैध मान लिया जाएगा.
Source : News Nation Bureau