भारत की सरजमीं से अमेरिका की चीन को दो टूक, आर्थिक दादागीरी नहीं चलेगी

हम देशों ये नहीं कहना चाहते कि वो चीन और अमेरिका में से किसी एक को चुनें, लेकिन हम कहना चाहते हैं कि आर्थिक जबरदस्ती या दादागीरी से समृद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था, शांति और सुरक्षा नहीं कायम की जा सकती है.

हम देशों ये नहीं कहना चाहते कि वो चीन और अमेरिका में से किसी एक को चुनें, लेकिन हम कहना चाहते हैं कि आर्थिक जबरदस्ती या दादागीरी से समृद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था, शांति और सुरक्षा नहीं कायम की जा सकती है.

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Nihar Saxena
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Wendy Sherman

अमेरिकी विदेश मंत्री वैंडी शरमन ने सुनाई चीन को खरी-खरी.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के तीन दिवसीय अमेरिकी दौरे के तुरंत बाद ही शीर्ष अमेरिकी राजनयिकों का भारत दौरा शुरू हो चुका है. अमेरिका की उपविदेश मंत्री और शीर्ष राजनयिक वेंडी शरमन (Wendy Sherman) फिलहाल दिल्ली प्रवास पर हैं. उन्होंने अपनी नई दिल्ली यात्रा के दौरान चीन को सख्त संदेश दिया. उन्होंने कहा है कि आर्थिक जबर्दस्ती या दादागीरी भविष्य की दुनिया का रास्ता नहीं हो सकती. शरमन का यह बेलौस अंदाज पीएम मोदी और जो बाइडन (Joe Biden) समेत कमला हैरिस से हुई मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान से मेल खाता है. शरमन ने भारत प्रवास के दौरान विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला से द्विपक्षीय मुद्दों समेत कई विषयों पर बातचीत हुई.

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आर्थिक जबर्दस्ती या दादागीरी भविष्य का रास्ता नहीं
सामरिक जानकारों के मुताबिक शरमन के चीन के खिलाफ इस संदेश के गहरे निहितार्थ तो हैं ही, साथ ही इसका गहरा महत्व भी है, क्योंकि बीते काफी समय से ड्रैगन श्रीलंका और मालदीव्स में अपना प्रभाव तेजी के साथ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. चीन के आर्थिक निवेश से इन छोटे देशों की संप्रभुता खतरे में पड़ गई है. बीजिंग की इस आक्रामक रणनीति में पाकिस्तान पूरी भागीदारी निभा रहा है. इस लिहाज से शरमन का भारत में दिया बयान महत्वपूर्ण हो जाता है. उन्होंने कहा, हम देशों ये नहीं कहना चाहते कि वो चीन और अमेरिका में से किसी एक को चुनें, लेकिन हम कहना चाहते हैं कि आर्थिक जबरदस्ती या दादागीरी से समृद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था, शांति और सुरक्षा नहीं कायम की जा सकती है.

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फंडिंग से प्रभाव बढ़ा रहा चीन
गौरतलब है कि चीन कई देशों में फंडिंग को लेकर अमेरिका के निशाने पर है. पाकिस्तान समेत श्रीलंका और म्यांमार में भी चीनी फंडिंग को लेकर रिपोर्ट्स आ रही हैं. चीन इसका इस्तेमाल देशों में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए कर रहा है. हाल में जब अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आया तो चीन उन पहले देशों में रहा जिसने कट्टरपंथी संगठन से नजदीकी जाहिर की. जाहिर है कि तालिबान का समर्थन कर चीन अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना को पूरा करना चाहता है. इसके साथ ही इस तरह चीन मध्य एशिया में अपना दबदबा और बढ़ाना चाहता है. ऐसे में अमेरिका और भारत के रिश्ते खासकर चीन की घेराबंदी के लिहाज से अहम हो रहे हैं.

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पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे का जिक्र
अपने भारत प्रवास के दौरान शरमन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे को महत्वपूर्ण करार दिया है. उन्होंने कहा, पीएम मोदी के हालिया दौरे और क्वाड सम्मेलन ने प्रदर्शित किया है कि भारत-अमेरिका कितने बेहतर साझीदार हैं. अगर दोनों देश साथ मिलकर काम करें तो कोई भी औऱ कैसी भी चुनौती से निपटा न जा सकता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने श्रृंगला और शरमन की मुलाकात के बारे में ट्वीट कर द्विपक्षीय संबंधों की अहमियत बताई है. उन्होंने कहा, दोनों पक्षों के बीच मुलाकात में द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई, विशेष तौर पर अफगानिस्तान को लेकर. दोनों ही पक्षों ने कोरोना के खिलाफ साथ मिलकर काम करने की बातें दोहराई हैं.

HIGHLIGHTS

  • शरमन ने हर्षवर्द्धन श्रृंगला से द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की
  • अमेरिका-भारत रिश्ते चीन की घेराबंदी के लिहाज से बेहद अहम
  • चीन कई देशों में फंडिंग को लेकर अमेरिका के निशाने पर है
जो बाइडन पीएम नरेंद्र मोदी भारत चीन INDIA Wendy Sherman joe-biden china हर्षवर्द्धन श्रृंगला Harshvardhan Shrangla वैंडी शरमन PM Narendra Modi
      
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