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प्रतिकात्मक चित्र
अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra)एक बार फिर आतंकियों के निशाने पर है. इसको लेकर जम्मू-कश्मीर की सरकार ने अमरनाथ यात्रियों को घाटी से वापस जाने के लिए कहा है. साथ ही सरकार ने सरकार ने अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra)की अवधि कम करने की भी हिदायद दी है. अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra)4 अगस्त के लिए स्थगित कर दिया गया है. अमरनाथ यात्रियों पर सबसे पहले हमला साल 2000 में हुआ था. इसके बाद से 19 सालों में कुल 7 बड़े हमले हो चुके हैं.
2 अगस्त, 2000 को आंतकियों के निशाने पर पहली बार अमरनाथ यात्री आए. आतंकियों ने पहलगाम के बेस कैंप में पर हमला किया और 32 लोगों की जान ले ली, जिसमें 21 अमरनाथ यात्री थे इसके बाद अगले साल 20 जुलाई, 2001 को अमरनाथ गुफा के रास्ते की सबसे ऊंचाई पर स्थित पड़ाव शेषनाग पर हमला हुआ, जिसमें 13 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें तीन महिलाएं और दो पुलिस अधिकारी शामिल थे.
इन हमलों को देखते हुए 2002 में अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा बल के 15 हज़ार जवानों को तैनात किया गया. बावजूद इसके, 6 अगस्त, 2002 को चरमपंथियों ने पहलगाम में हमला किया जिसमें नौ लोगों की मौत हुई थी और 30 अन्य लोग घायल हो गए थे.
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अभी दो साल पहले 10 जुलाई 2017 को गुजरात नंबर की बस पर अमरनाथ यात्रियों पर आतंकियों ने हमला किया , जिसमें 7 श्रद्धालु मारे गए , 32 घायल हुए. इससे पहले 2006 में आतंकियों ने अमरनाथ यात्रियों पर हमला किया था जिसमें एक श्रद्धालु की मौत हो गई थी.
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बता दें शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर सरकार ने अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों के हित में एक लेटर जारी किया है. राज्य सरकार ने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा बलों ने संयुक्त रूप से चेकिंग अभियान चलाया था. इस दौरान सुरक्षा बलों ने अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra)के रूट से आईईडी और माइंस बरामद किए. तलाशी के दौरान जो हथियार बरामद हुए थे वे पाकिस्तान में बने थे. बरामद हथियार को पाकिस्तानी मीडिया को दिखाए गए हैं.
भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स के शीर्ष अधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा करते हुए बताया कि आतंकी अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra)पर हमला करने की योजना बना रहे हैं और इस साजिश में पाकिस्तानी भी शामिल है और कुछ आतंकियों के पास से जब्त किए गए हथियारों में पाकिस्तानी सेना की लैंड माइन और यूएस मेड गन रिकवर की गई है.