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पंजाब का 'कैप्टन' कौन...अमरिंदर, सिद्धू या फिर बीजेपी

नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कैबिनेट में मंत्री बने राणा गुरजीत सिंह को हटाए जाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उनपर रेत खनन का आरोप लगा है. इतना ही नहीं सिद्धू पंजाब के डीजीपी और एजी को भी हटाने की मांग कर रहे हैं. 

Updated on: 30 Sep 2021, 03:08 PM

नई दिल्ली :

पंजाब में भले ही नये चेहरे के साथ कांग्रेस ने सरकार बना ली है, लेकिन उठल-पुथल का दौरा खत्म नहीं हो रहा है. अगले साल यानी 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में अगर ऐसा ही चलता रहा तो कांग्रेस की नैया मंझधार में फंस जाएगी. पहले नवोजत सिंह सिद्धू को खुश करने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से कांग्रेस आलाकमान ने हटाया. तब खुश हुए सिद्धू फिर जब उनके मुताबिक सरकार नहीं बनी तो नाराज हो गए. सिद्धू ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से इस्तीफा दे दिया. 

दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कैबिनेट में मंत्री बने राणा गुरजीत सिंह को हटाए जाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उनपर रेत खनन का आरोप लगा है. इतना ही नहीं सिद्धू पंजाब के डीजीपी और एजी को भी हटाने की मांग कर रहे हैं. 

कांग्रेस सिद्धू को नहीं मनाएगी 

सूत्रों की मानें तो बार-बार रूठ रहे सिद्धू को मानने की कोशिश अब कांग्रेस नहीं करने जा रही है. कांग्रेस आलाकमान ने कड़ा रुख अपनाया है. आलाकमान ने अभी तक सिद्धू से बात नहीं की है. हालांकि कांग्रेस ने सिद्धू का इस्तीफा भी स्वीकर नहीं किया है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस सिद्धू को वक्त दे रही है. वहीं दूसरी तरह उनके विकल्प की भी तलाश शुरू कर दी गई है.

नवजोत सिंह खेमे के परगट सिंह ने भी नहीं दिया मंत्री पद से इस्तीफा

सिद्धू की बात मानकर अगर सीएम चरणजीत सिंह चन्नी अधिकारियों और नेताओं को हटाते हैं तो गलत मैसे पंजाब में जाएगा. चुनाव को देखते हुए नए नवेले सीएम चरणजीत सिंह चन्नी सिद्धू की बात मानेंगे ऐसा कम ही लगता है. चन्नी ने आज कैबिनेट की बैठक भी बुलाई है. कहा गया है कि जो भी मंत्री इस बैठक में नहीं आएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. 

सबसे बड़ी बात है कि अभी तक नवजोत सिंह सिद्धू खेमे के माने जाने वाले और सबसे खास परगट सिंह ने भी मंत्रिमंडल से इस्तीफा नहीं दिया है.

कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस को दे रहे झटका 

कांग्रेस सिद्धू से झटका नहीं खा रही है, बल्कि पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह भी पार्टी को करंट दे रहे हैं. कैप्टन अमरिंद सिंह दिल्ली आए और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की. बुधवार को कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और अमित शाह से बीच 45 मिनट की मुलाकात हुई है. 45 मिनट में दोनों के बीच क्या कुछ बात हुई उसके बारे में सबकुछ तो नहीं पता चल पाया. लेकिन कयासों का बाजार गर्म होना शुरू हो चुका है. पंजाब में कांग्रेस से दरकिनार हुए कैप्टन सिंह ठिकाने की तलाश में हैं, वहीं अकाली दल से दोस्ती गवां चुकी बीजेपी को पंजाब में एक मजबूत चेहरे की दरकार है. ये मुलाकात साथ में तब्दील होती है, उसपर निगाहों का बने रहना वाजिब है. 

अमरिंदर सिंह  नॉन-पॉलिटिकल संगठन बनाकर लगा सकते हैं मास्टर स्ट्रोक

खबर यह भी सामने आ रही है कि अमरिंदर सिंह अलग ही कदम उठाकर पंजाब में मास्टर स्ट्रोक लगा सकते हैं. 2 अक्टूबर को कैप्टन अमरिंदर सिंह  नॉन-पॉलिटिकल संगठन बनाकर सियासत में नया दांव ठोक सकते हैं. सूत्रों की मानें तो दिल्ली बॉर्डर पर एक साल से चल रहे किसान आंदोलन को कैप्टन अमरिंदर सिंह इस संगठन के जरिए आंदोलन खत्म करवा देंगे. जिसके बाद पंजाब की सियासत कैप्टन के इर्द-गिर्द घूमेगा.अमरिंदर किसानों के साथ-साथ केंद्र को भी साधकर डबल माइलेज लेंगे.

अमित शाह से मुलाकात के बाद इस कयास को और भी बल मिल गया है. दोनों के बीच हुई मुलाकात में किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दे पर बातचीत हुई थी. तो सवाल यह है कि क्या अमित शाह अमरिंद सिंह को कांग्रेस को पीछे करने और पंजाब में खोई जमीन को पाने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह पर दांव लगाएंगे. 

अमरिंदर बीजेपी का साथ मुमकीन नहीं!

हालांकि अमरिंदर सिंह और बीजेपी एक साथ खुलेआम नहीं आ सकते हैं. क्योंकि अगर कैप्टन बीजेपी में शामिल होते हैं तो किसान नाराज हो जाएंगे. किसान की नाराजगी अमरिंदर मोल नहीं ले सकते हैं. ऐसे में वो संगठन बनाकर ना सिर्फ किसान आंदोलन की अगुवाई करेंगे, बल्कि एक नई तरह की राजनीति करेंगे. 

वहीं, कैप्टन से नजदीकियां दिखाकर BJP ने कांग्रेस को संदेश दिया कि कैप्टन के अंदर अभी बहुत सियासत बाकी है. अब सियासत की उलझी चाल में फंसी कांग्रेस कैसे खुद को बाहर निकालती है. उसपर लोगों की नजरें बनी रहेंगी.