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सीबीआई विवाद: निदेशक पद से अलोक वर्मा की छुट्टी, हमलावर हुई कांग्रेस, कहा- राफेल सौदे की जांच से डरे पीएम मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति में अलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाने का फैसला लिया गया है.

Updated on: 10 Jan 2019, 10:35 PM

नई दिल्ली:

पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति में अलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाने का फैसला लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पीएम मोदी ने बैठक में हिस्सा लिया. जस्टिस गोगोई उस पीठ का हिस्सा थे जिसने मंगलवार को वर्मा को सीबीआई निदेशक पद पर बहाल करने का आदेश दिया था, इसलिए उन्होंने पैनल की बैठक से खुद को अलग रखने का फैसला किया. इससे पहले बुधवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक बेनतीजा रही. करीब दो घंटे तक चली बैठक में अलोक वर्मा पर गाज गिरी है. सिलेक्शन कमिटी ने 2-1 से यह फैसला लिया. मल्लिकार्जुन खड़गे अलोक वर्मा को हटाने के विरोध में थे. सुप्रीम कोर्ट के अलोक वर्मा को फिर से बहाल करने के फैसले के बाद उच्चस्तरीय चयन समिति की बैठक हुई थी. सीवीसी की रिपोर्ट में वर्मा के खिलाफ आठ आरोप लगाए गए थे. यह रिपोर्ट उच्चस्तरीय समिति के सामने रखी गई.

इस पूरे मामले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें पार्टी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा. कांग्रेस ने ट्वीट किया, 'बिना मौका दिए अलोक वर्मा को उनके पद से हटाकर पीएम मोदी ने एक बार फिर दिखा दिया है कि वह जांच से डरते है. चाहे वह स्वतंत्र सीबीआई निदेशक या जेपीसी के माध्यम से हो.'

कांग्रेस की प्रेस काॅन्फ्रेंस

सीएबीआई पद से अलोक वर्मा को हटाने के बाद कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कांग्रेस ने CVC की सिफारिश पर कार्रवाई को गलत बताया. हमलावर तेवर अख्तियार करते हुए कांग्रेस ने कहा, 'क्या पीएमओ के इशारे पर काम हो रहा है. सरकार में किस बात की घबराहट है और किसे बचाना चाह रही है.'जांच से डरकर आलोक वर्मा को आधी रात को हटाया गया. 

राजयसभा सांसद आनंद शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'सीवीसी की रिपोर्ट में अगर दम होता तो कोर्ट ने संज्ञान लिया होता, इसलिए उसे असंवैधानिक करार कर दिया गया. सवाल सीवीसी की निष्पक्षता पर उठता है कि क्या वो मोदी सरकार के इशारे पर काम करते है.' उन्होंने आगे कहा, 'सीबीआई से संबंधित घटनाक्रम अपने आप में चौंका देने वाला है. आधी रात में अधिकारियों का सीबीआई ऑफिस जाना, चार्ज लेना, इन सबकी जांच होनी चाहिए.' कांग्रेस ने हमलावर अख्तियार करते हुए कहा, 'यह संस्था पीएम के संकेत पर चलने वाला है. उनके आदेश को मानने वाली संस्था बन कर रह गई है. पीएम अपने आसपास के लोगों का बचाव कर रहे हैं.'

सचिन पायलट-

इस मसले पर राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की प्रतीक्रिया सामने आई है. आलोक वर्मा के हटाए जाने पर पायलट ने कहा, 'कुछ गड़बड़ चल रही है, जिसकी जांच की जरूरत है. कांग्रेस पार्टी पहले ही इस पर आपत्ति जता चुकी है. यह सब बेहद संदेहजनक है.'

प्रियंका चतुर्वेदी-

कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, 'जल्दबाजी में लिया गया निर्णय दर्शाता है कि उन्हें रास्ते से हटाया जाए क्योंकि वे राफेल कथित घोटाले की जांच करने वाले थे. अपने असहमति भरे नोट में, खड़गे ने खामियों का उल्लेख किया है जिसमें संवैधानिक मानदंडों को सरकार द्वारा दरकिनार किया गया था.'

 सुब्रमण्यम स्वामी-

BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि अगर वर्मा को हटाने का बहुमत का फैसला था, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि वर्मा को उनके खिलाफ आरोपों का जवाब देने के लिए क्यों नहीं कहा गया. केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को लेकर मेरी राय बहुत खराब है.'

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण-

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने प्रधानमंत्री की भूमिका में 'हितों के टकराव' की बात कही क्योंकि प्रधानमंत्री उस तीन सदस्यीय समिति का हिस्सा हैं जिसने वर्मा को पद से हटाया है. इसमें लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सर्वोच्च न्यायालय के मनोनीत प्रतिनिधि प्रधान न्यायाधीश द्वारा नामित न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी हैं.

कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी-

कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्मा को आरोपों के आधार पर हटा दिया गया, जबकि सीवीसी की कोई विश्वसनीयता नहीं है।

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31 जनवरी को अलोक वर्मा का कार्यकाल समाप्त होना था. 55 सालों में पहली बार सीबीआई के इतिहास में अलोक वर्मा प्रमुख है जिन्होंने ऐसे कार्रवाई का सामना किया है. नए निदेशक की नियुक्ति होने या अगला आदेश आने तक CBI के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव कामकाज देखेंगे. अलोक वर्मा को फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होम गार्ड का डायरेक्टर जनरल बनाया गया है.  

वर्मा को विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ उनके झगड़े के मद्देनजर 23 अक्टूबर 2018 की देर रात विवादास्पद सरकारी आदेश के जरिये छुट्टी पर भेज दिया गया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के आदेश को चुनौती दी थी. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी आदेश को निरस्त कर दिया था, लेकिन उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीवीसी जांच पूरी होने तक उनके कोई भी बड़ा नीतिगत फैसला करने पर रोक लगा दी थी.

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इससे पहले भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बैठक को लेकर निशाना साधा था. कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के उत्तराधिकारी को खोजने में 'जल्दबाजी' करने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी सरकार राफेल घोटाले की संभावित जांच से भयभीत है, इसीलिए वह वर्मा का उत्तराधिकारी तलाशने की 'जल्दी' में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आलोक वर्मा की नियति के बारे में निर्णय को लेकर उच्चस्तरीय चयन समिति की बैठक के एक दिन बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया.

सीबीआई प्रमुख वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगााए थे जिसके बाद उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया था. वर्मा ने बुधवार को एक बार फिर अपना पदभार संभालते ही एक्शन में नज़र आये थे. उन्होंने एम नागेश्वर राव द्वारा किये गये ज्यादातर ट्रांसफर को रद्द कर दिया गया था. राव वर्मा की अनुपस्थिति में अंतरिम सीबीआई प्रमुख नियुक्त किए गए थे.

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बता दें कि नियमों के मुताबिक, पीएम की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय चयन समिति में चीफ जस्टिस या सुप्रीम कोर्ट के एक जज और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष शामिल होते है.