हिरासत में मौत चिंता का विषय : इलाहाबाद उच्च न्यायालय

हिरासत में मौत चिंता का विषय : इलाहाबाद उच्च न्यायालय

हिरासत में मौत चिंता का विषय : इलाहाबाद उच्च न्यायालय

author-image
IANS
New Update
Allahabad High

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि हिंसा, यातना और हिरासत में मौत हमेशा सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय रही है।

Advertisment

अदालत ने गुरुवार को 1997 में एक व्यक्ति की हिरासत में मौत के लिए बुक किए गए एक पुलिसकर्मी को जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की।

पुलिसकर्मी शेर अली की जमानत याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति समित गोपाल ने कहा, हिरासत में हिंसा, हिरासत में यातना और हिरासत में मौत हमेशा सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय रहा है। शीर्ष अदालत और अन्य अदालतों के न्यायिक फैसलों ने बार-बार उनकी चिंता दिखाई है।

अदालत ने डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य, जहां शीर्ष अदालत ने हिरासत में हुई मौतों पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए ऐसी घटनाओं की जांच के लिए गिरफ्तारी के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे।

शिकायतकर्ता, संजय कुमार गुप्ता ने आरोप लगाया कि 28 दिसंबर, 1997 को कुछ पुलिसकर्मी उनके घर आए और उनके पिता गोरख नाथ उर्फ ओम प्रकाश गुप्ता को ले गए।

इसके बाद में उन्हें बताया गया कि उनके पिता की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है।

शिकायतकर्ता का आरोप है कि उसके पिता के साथ बेरहमी से मारपीट की गई, जिससे उसकी थाने में ही मौत हो गई।

आवेदक के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
Advertisment