संविधान सर्वोपरि, पर्सनल लॉ उसके दायरे से बाहर नहीं हो सकताः इलाहाबाद हाईकोर्ट
तीन तलाक और फतवे जारी करने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि पर्सनल लॉ के नाम पर मूल अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
नई दिल्ली:
तीन तलाक और फतवे जारी करने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि पर्सनल लॉ के नाम पर मूल अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा है कि पर्सनल लॉ संविधान के दायरे में ही हो सकता है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि फतवा न्याय व्यवस्था के विपरीत मान्य नहीं होना चाहिए।
एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि लिंग के आधार पर मूल और मानवाधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पति ऐसे तरीके से तलाक नहीं दे सकता जिससे समानता और जीवन के मूल अधिकार का हनन हो।
हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई भी फतवा मान्य नहीं होना चाहिए जो न्याय व्यवस्था के विपरीत हो। कोर्ट ने कहा कि संविधान के दायरे में ही पर्सनल लॉ लागू हो सकता है।
इसे भी पढ़ेंः शराब कारोबारी विजय माल्या दोषी करार, सुप्रीम कोर्ट का आदेश- 10 जुलाई को पेश हों
कोर्ट ने यह आदेश एक याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किया। तीन तलाक की शिकार वाराणसी की एक महिला सुमालिया ने अपने पति अकील जमील के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज करवाया था।
इसे भी पढ़ेंः जस्टिस कर्णन को छह महीने की जेल, अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश
दहेज की मांग को लेकर पति ने महिला को तलाक दे दिया था जिसके बाद महिला ने केस दर्ज करवाया था। तलाक के बाद दर्ज मुकदमे को पति ने रद्द करने की थी। जिसके बाद जमील की इस याचिका को जस्टिस एस पी केशरवानी की एकल पीठ ने इसे खारिज कर दिया।
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Aaj Ka Panchang 29 March 2024: क्या है 29 मार्च 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Good Friday 2024: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे, जानें प्रभु यीशु के बलिदान की कहानी
-
Vastu Tips for Car Parking: वास्तु के अनुसार इस दिशा में करें कार पार्क, किस्मत बदलते नहीं लगेगा देर
-
Importance of Aachman: हिन्दु धर्म में आचमन का क्या मतलब है? जानें इसके महत्व, विधि और लाभ