संविधान सर्वोपरि, पर्सनल लॉ उसके दायरे से बाहर नहीं हो सकताः इलाहाबाद हाईकोर्ट

तीन तलाक और फतवे जारी करने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि पर्सनल लॉ के नाम पर मूल अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।

तीन तलाक और फतवे जारी करने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि पर्सनल लॉ के नाम पर मूल अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।

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abhiranjan kumar
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संविधान सर्वोपरि, पर्सनल लॉ उसके दायरे से बाहर नहीं हो सकताः इलाहाबाद हाईकोर्ट

तीन तलाक और फतवे जारी करने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि पर्सनल लॉ के नाम पर मूल अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा है कि पर्सनल लॉ संविधान के दायरे में ही हो सकता है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि फतवा न्याय व्यवस्था के विपरीत मान्य नहीं होना चाहिए।

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एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि लिंग के आधार पर मूल और मानवाधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पति ऐसे तरीके से तलाक नहीं दे सकता जिससे समानता और जीवन के मूल अधिकार का हनन हो।

हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई भी फतवा मान्य नहीं होना चाहिए जो न्याय व्यवस्था के विपरीत हो। कोर्ट ने कहा कि संविधान के दायरे में ही पर्सनल लॉ लागू हो सकता है।

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कोर्ट ने यह आदेश एक याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किया। तीन तलाक की शिकार वाराणसी की एक महिला सुमालिया ने अपने पति अकील जमील के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज करवाया था।

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दहेज की मांग को लेकर पति ने महिला को तलाक दे दिया था जिसके बाद महिला ने केस दर्ज करवाया था। तलाक के बाद दर्ज मुकदमे को पति ने रद्द करने की थी। जिसके बाद जमील की इस याचिका को जस्टिस एस पी केशरवानी की एकल पीठ ने इसे खारिज कर दिया।

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Source : News Nation Bureau

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