इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से एक जवाबी हलफनामा (जवाब) दाखिल करने को कहा है जिसमें राज्य के उन सभी स्कूलों के बारे में जानकारी देने को कहा गया है जहां कोई छात्र नहीं है।
नंद लाल द्वारा दायर जनहित याचिका, प्रयागराज जिले के दारागंज इलाके में प्राथमिक विद्यालयों की खराब स्थिति का मुद्दा उठाती है।
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि छात्रों को दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता सही नहीं है और इसलिए कई अभिभावकों ने अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजना बंद कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब मांगा और मामले को अगली सुनवाई के लिए 28 मार्च, 2022 तक स्थगित कर दिया।
याचिकाकर्ता ने प्रयागराज जिले के दारागंज स्थित माध्यमिक विद्यालय के मामले, छात्रों को शिक्षा प्रदान करने में शिक्षकों की लापरवाही और स्कूल के रखरखाव के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी धन के गबन की जांच की मांग की है।
मामले में संभागीय शिक्षा अधिकारी (डीईओ) की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि वर्तमान में प्री-सेकेंडरी स्कूल में एक भी छात्र नहीं है और यह शिक्षकों और शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण हुआ है।
यह भी प्रस्तुत किया गया है कि अन्य सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बहुत खराब है, और कई शिक्षक कक्षा 4 स्तर की अंग्रेजी भाषा भी नहीं जानते हैं।
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Source : IANS