सख़्त और मुश्किल फैसले लेते हैं नीतीश कुमार, कई बार दे चुके हैं इस्तीफा
कैसी शख़्सियत हैं नीतीश कुमार और क्या है बिहार की राजनीति में उनका योगदान? जानें 15 प्वाइंट्स में सुशासन के पैरोकार के बारे में
नई दिल्ली:
बिहार में सुशासन के अगुआ नीतीश कुमार ने बुधवार रात को एक बार फिर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर आरजेडी का कद छोटा और अपना कद ऊंचा कर लिया।
भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के चलते बार-बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके सुशासन की छवि पर सवालिया निशान लग रहे थे। लेकिन बुधवार रात कुछ ऐसा हुआ कि नीतीश कुमार ने एक झटके में बिहार सरकार पर आरोप लगाने वालों को एक झटके में चुप कर दिया।
नीतीश के इस्तीफे के दांव से विपक्षी दलों के साथ ही सरकार में शामिल घटक दल भी सकते में रह गए और देखते ही देखते महागठबंधन चकनाचूर हो गया। वहीं, मुख्य विपक्षी पार्टी अब एलायंस पार्टी होगी।
नीतीश कुमार ऐसे ही अवाक कर देने वाले फैसले लेते रहे हैं। जानिए इनकी शख़्सियत के बारे में-
1. 1 मार्च 1951 को जन्में नीतीश कुमार में पढ़ाई तो इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग तक की लेकिन राह राजनीति की चुनी।
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2. 1977 में जनता पार्टी के साथ नीतीश ने राजनीतिक सफर शुरू किया और विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
3. दोबारा विधानसभा चुनाव 1980 में लड़ा और फिर हारे लेकिन इस हार ने उन्हें मज़बूत बनाया।
4. इसके बाद 1985 के विधानसभा चुनाव में उन्हें जीत का स्वाद चखने को मिले और वो विधायक बने।
5. 1987 में नीतीश कुमार युवा लोकदल के अध्यक्ष बनाए गए।
6. इसके बाद 1989 में उन्हें बिहार में जनता दल का सचिव चुना गया और इसी साल नौंवी लोकसभा के सदस्य भी चुने गए।
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7. 1990 में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए और कृषि राज्यमंत्री बने।
8. 1991 में दोबारा लोकसभा के लिए लोकसभा के लिए चुने गये और इस बार जनता दल का राष्ट्रीय सचिव उन्हें बनाया गया। इसके अलावा उन्हें संसद में जनता दल का उपनेता भी चुना गया था।
9. 1998-1999 के दरमियान कुछ समय के लिए नीतीश कुमार केंद्रीय रेल एवं भूतल परिवहन मंत्री भी रहे थे। इस दौरान अगस्त 1999 में गैसाल में रेल दुर्घटना हुई जिसके बाद उन्होंने बतौर रेलमंत्री अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस कदम से नीतीश कुमार की ईमानदार छवि सबके सामने आई।
10. इसके बाद साल 2000 में पहली बार नीतीश बिहार के मुख्यमंत्री बने और सिर्फ 7 दिनों में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। इस साल नीतीश दोबारा केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल उन्हें और उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया।
11. इसके बाद 2001 से 2004 के दौरान वे बाजपेयी सरकार में केंद्रीय रेलमंत्री रहे।
12. नवंबर 2005, में नीतीश ने आखिरकार राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की बिहार में पंद्रह साल पुरानी सत्ता को उखाड़ फेंकने में सफल हुए और दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने।
13. इसके बाद 2010 के बिहार विधानसभा चुनावों में दोबारा मुख्यमंत्री बने और बिहार में सुशासन के दावों, विकास कार्यों की गिनती के साथ ईमानदार छवि स्थापित करने में सफल रहे।
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14. हालांकि 2014 में उन्होंने पार्टी की संसदीय चुनाव में खराब प्रदर्शन के चलतै नैतिक आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
15. इसके बाद 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश ने विपक्षी दल लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी पार्टी के साथ गठबंधन किया और बीजेपी को हराने के मकसद से चुनावी मैदान में उतरे। इसके बाद मोदी के खिलाफ बने विपक्षी दलों के महागठबंधन के अग्रणी नेता बने और बिहार के फिर मुख्यमंत्री बने। लेकिन इस बार गठबंधन सरकार में उप-मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपनी पड़ी तेजस्वी यादव।
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राज्य में घटे ताज़ा घटनाक्रमों के बीच भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे लालू यादव का परिवार और खुद उप-मुख्यमंत्री का नाम आने के बाद, गठबंधन सरकार पर सवाल उठने लगे और हालातों को संभालने में विफल होने के बाद आख़िरकार नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया।
इससे जहां बिहार की सरकार मिडटर्म में ही डगमगा गई और राजनैतिक संकट महसूस किया गया लेकिन बीजेपी का सहारा मिलने से स्थिति बदल गई और नीतीश का कद राजनीतिक मैदान में ऊंचा तो लालू यादव का कद बहुत छोटा हो गया।
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