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सुप्रीम कोर्ट ने गोवा के 88 खनन पट्टे रद्द किए, आप ने लगाया घोटाले का आरोप

साल 2007 से 20 साल के लिए नवीनीकृत किए गए पट्टों को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने कहा कि गोवा सरकार कानून के अनुसार नए सिरे से आवेदनों की जांच करेगी।

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Deepak Kumar
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सुप्रीम कोर्ट ने गोवा के 88 खनन पट्टे रद्द किए, आप ने लगाया घोटाले का आरोप

गोवा के 88 खनन पट्टे रद्द (पीटीआई)

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गोवा के 88 खनन पट्टों को रद्द कर दिया। इन पट्टों को खान व खनिज (विनियमन एवं विकास) अधिनियम के तहत खनन पट्टों के लिए नीलामी अनिवार्य किए जाने से ठीक पहले राज्य सरकार ने 2015 में नवीनीकृत किया था।

साल 2007 से 20 साल के लिए नवीनीकृत किए गए पट्टों को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने कहा कि गोवा सरकार कानून के अनुसार नए सिरे से आवेदनों की जांच करेगी।

खनन पट्टों के नवीनीकरण में की गई जल्दबाजी व अनियमितता को देखते हुए अदालत ने कहा कि लोहा व मैंगनीज खदानों सहित सभी खनन गतिविधि पर गोवा में 15 मार्च तक रोक रहेगी।

अदालत का यह फैसला एक गैरसरकारी संगठन गोवा फाउंडेशन की याचिका पर आया है। इस याचिका में राज्य सरकार द्वारा खनन पट्टों के नवीनीकरण को चुनौती दी गई थी।

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सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के बादआम आदमी पार्टी (आप) ने प्रदेश की बीजेपी सरकार पर पट्टे के नवीनीकरण में घोटाला करने का आरोप लगाया है।

आप के प्रदेश संयोजन एल्विस गोम्स ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि 2014-15 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाली सरकार ने उन्हीं खनन कंपनियों के पक्ष में खनन पट्टों का नवीनीकरण किया, जिनपर शाह अयोग ने अवैध खनन का आरोप लगाया था और 2012 में 35,000 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा किया था।

उन्होंने कहा कि पट्टा नवीनीकरण का यह घोटाला उससे भी बड़ा है। 

उन्होंने कहा, 'न्यायमूर्ति बीएम शाह आयोग ने 35,000 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर किया था। उसपर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की और पट्टे के लिए नीलामी को अनिवार्य करने के केंद्रीय कानून के लागू होने से ठीक पहले जल्दबाजी में 88 खदानों के पट्टों का नवीनीकरण उन्हीं कंपनियों के नाम 2014-15 में कर दिया गया, जिनपर शाह आयोग ने अवैध खनन का आरोप लगाया था।'

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उन्होंने कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए कि किस प्रकार पट्टों का नवीनीकरण किया गया। 

शाह आयोग द्वारा 2012 में 35,000 करोड़ रुपये का घोटाला प्रकाश में लाने के पूर्व गोवा निम्न दर्जे के लौह-अयस्क के निर्यात में अग्रणी था और यहां से पांच करोड़ रुपये का लौह अयस्क का निर्यात होता था। आयोग ने इस घोटाले में प्रमुख खनन कंपनियों और गोवा की तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री दिगंबर कामत और प्रमुख नौकरसाहों की संलिप्तता उजागर की थी। 

इसके बाद 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में लौह-अयस्क के खनन पर रोक लगा दी थी। 

शीर्ष अदालत ने बुधवार को गोवा में मौजूदा सभी लौह अयस्क पट्टे को रद्द कर दिया और कहा कि हाल में पर्यावरण मंजूरी प्राप्त लाइसेंसधारियों को बोली के जरिए पट्टे दिए जाएं।

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Source : IANS

Environment Pollution Goa minning Supreme Court
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