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राइट टू प्राइवेसी: सुप्रीम कोर्ट ने किए थे सवाल 'निजता का अधिकार भी अपने आप में संपूर्ण नहीं'

मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को लेकर कहा था कि इसका आकार इतना बड़ा है कि ये हर मुद्दे में शामिल है

Updated on: 24 Aug 2017, 08:48 AM

highlights

  • निजता मौलिक अधिकार है या नहीं आज होगा फैसला
  • सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की पीठ सुनाएगी फैसला

 

नई दिल्ली:

निजता का अधिकार संविधान के तहत मौलिक अधिकार है या नहीं आज इस पर सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच फैसला सुनाएगी।

मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को लेकर टिप्पणी की थी कि इसका आकार इतना बड़ा है कि यह हर मुद्दे में शामिल है और निजता का अधिकार भी अपने आप में संपूर्ण भी नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था अगर हम निजता को सूचीबद्ध करने का प्रयास करेंगे तो इसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि निजता सही में स्वतंत्रता का एक सब सेक्शन है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि मामले की सुनवाई के लिए बनाए गए 9 जजों की पीठ का इसपर क्या स्टैंड रहा है।

जस्टिस चंद्रचूड़

मामले की सुनावई में शामिल बेंच के जज जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि डाटा प्रोटेक्शन के लिए मजबूत तंत्र का होना जरूरी है। उनका कहा था कि हमें इसके लिए सिद्धांत तय करना होगा कि किस तरह का डाटा और सूचना आम होना चाहिए और किस तरह के डाटा को निजता के आधार पर संरक्षित करने की जरूरत है।

जस्टिस नरिमन

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस नरिमन ने कहा था, आधार ऐक्ट में निजता के हितों पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। इसका मतलब क्या ये नहीं है कि कानून निजता को मान्यता देता है। जस्टिस नरिमन ने कहा था, निजता के अधिका में गरिमा का सवाल है और गरिमा प्रस्तावना में है और और ये मौलिक अधिकार के भीतर है।

जस्टिस चेलामेश्वर

जस्टिस चेलामेश्वर ने पूछा था कि क्या व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ डाटा लिया जा सकता है। इसपर वकील सुंदरम ने कहा था कि इसके बीच में निजता को नहीं लाया जाना चाहिए।

जस्टिस बोब्डे

जस्टिस बोब्डे ने इस पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल से पूछा था, आपने निजता की रक्षा के लिए ये कानून बनाए हैं तब आप इस अधिकार पर सवाल क्यों उठा रहे हैं। इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा था आधार की एनरॉलमेंट करनेवाली निजी एजेंसियां हैं और उनके बारे में हमें सही बेंच के सामने कहने के लिए बहुत कुछ है।

सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच इसपर फैसला करेगी की  निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं।

इस बेंच में चीफ जस्टिस जे एस खेहर के अलावा, जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस आर के अग्रवाल, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस अभय मनोहर सप्रे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर शामिल हैं।