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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, उन्‍नाव रेप से जुड़े सभी 5 केस दिल्‍ली ट्रांसफर, पीड़िता को 25 लाख का मुआवजा

सुप्रीम कोर्ट ने उन्‍नाव रेप मामले के सभी 5 मामलों को दिल्‍ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि उन्‍नाव केस में निचली अदालत अब रोजाना सुनवाई करेगी और 45 दिनों में सुनवाई पूरी करनी होगी.

Updated on: 01 Aug 2019, 04:05 PM

highlights

  • केस को दिल्‍ली ट्रांसफर किया गया, 45 दिन में पूरी होगी सुनवाई
  • उन्नाव रेप केस और एक्सीडेंट से जुड़े सभी 5 मामले दिल्ली ट्रांसफर
  • सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एक्सीडेंट के मामले की जांच 7 दिन में पूरी की जाए

नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने उन्‍नाव रेप मामले के सभी 5 मामलों को दिल्‍ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि उन्‍नाव केस में निचली अदालत अब रोजाना सुनवाई करेगी और 45 दिनों में सुनवाई पूरी करनी होगी. सुनवाई दिल्ली में ही होगी. दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने CBI से कहा है कि वह 7 दिन में सड़क हादसे की जांच पूरी करे.

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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने यह भी आदेश दिया है कि पीड़िता को 25 लाख का मुआवजा दिया जाए. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि पीड़ित लड़की और उसके परिवार को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाए. इस मामले में सूचना है कि CRPF तत्काल प्रभाव से पीड़ित लड़की और उसके परिजनों को सुरक्षा देगी.

सुप्रीम कोर्ट में अब तक क्या हुआ

उन्नाव रेप कांड मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई के अधिकारियों को तलब करते हुए अब तक हुई जांच की स्टेटस रिपोर्ट मांगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अगर CBI के अधिकारी ओपन कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट नहीं बता सकते तो वह इस मामले की सुनवाई अपने चेंबर में करेंगे. उन्होंने सीबीआई को 12 बजे तक अपनी स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा.

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12 बजे दोबारा सुनवाई को लेकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दोबारा कोर्ट पहुंचे. यहां उन्होंने कहा कि इस केस की जांच से जुड़े अधिकारी लखनऊ में हैं. आज कोर्ट नहीं आ सकते. उन्होंने सुनवाई को शुक्रवार साढ़े दस बजे तक टालने की मांग की.

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जिस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई को शुक्रवार तक टालने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि सीबीआई के डायरेक्टर जांच अधिकारी से बात करें और 12 बजे तक कोर्ट को रिपोर्ट से अवगत कराएं.

12 बजे दोबारा हुई सुनवाई

12 बजे जब दोबारा सुनवाई शुरू हुई तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने रेप पीड़िता की हालत के बारे में पूछा. सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि रेप पीड़िता की हालत अभी भी गंभीर है. उसे वेंटीलेटर पर रखा गया है. कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या लड़की को एयरलिफ्ट करके इलाज के लिए दिल्ली लाया जा सकता है.

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इस मामले में सीबीआई ने बताया कि रेप पीड़िता के पिता के खिलाफ आर्म्स एक्ट का मामला फर्जी था. अब इस मामले में पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाया गया है. कोर्ट को जानकारी दी गई कि रेप पीड़िता के साथ एक बार रेप की वारदात को अंजाम दिया दिया गया. इस मामले में चार्जशीट दायर हो चुकी है, लेकिन अभी आरोप तय नहीं हुए हैं.

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12 बजे की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया की दुर्घटना से संबंधित सभी जांच 7 दिनों के भीतर पूरी की जाए. आपको बता दें कि रेप पीड़िता ने 12 जुलाई को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिख कर जान का खतरा होने की बात कही थी. चीफ जस्टिस ने इस बारे में भी सवाल किया. 

पीड़िता की चिट्ठी CJI तक क्यों नहीं पहुंची? इस पर सेकेट्री जनरल ने कोर्ट को बताया कि करीब 5000 लेटर रजिस्ट्री को हर महीने मिलते हैं. 1998 से स्क्रीनिंग की एक प्रकिया है. उसी के तहत काम होता है. हालाँकि रजिस्ट्री को पीड़ित लड़की के नाम की जानकारी नहीं थी.