देश में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमत अबतक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कम कीमते होने के बावजूद भी मुंबई में पेट्रोल 79 रुपये और दिल्ली में 70 रुपये प्रति लीटर की कीमत पर बिक रहा है। इसलिए आम लोगों से लेकर आर्थिक मामलों की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञ तक तेल की कीमत में लगी आग को देखकर हैरान हैं।
कच्चा तेल सस्ता फिर पेट्रोल-डीजल महंगा क्यों
बीते तीन सालों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में 50 फीसदी से भी ज्यादा की कमी आ चुकी है लेकिन देश में फिर भी पेट्रोल-डीजल सस्ता होने की जगह लगातार महंगा होता जा रहा है। 13 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में जहां कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 3093 रुपये है वहीं साल 2014 में एक बैरल कच्चे तेल की कीमत लगभग 6 हजार रुपये थी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर तेल की घटती कीमतों का फायदा आम लोगों को क्यों नहीं मिल पा रहा है।
सिर्फ 31 रुपये में तैयार होता है एक लीटर डीजल
देश में इंडियल ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम जैसी कंपनियों कच्चे तेलों को रिफाइन करती है। ये कंपनियां कच्चे तेल के लिए प्रति लीटर 21.50 रुपये चुकाती है लेकिन रिफाइनरी के खर्च को अगर इसमें जोड़ दिया जाए तो ये खर्च बढ़कर 31 रुपये हो जाता है। लेकिन इसपर लगने वाले तमाम भारी टैक्स की वजह से आपको ये तेल 70 से 80 रुपये के बीच मिलता है।
आम लोगों को क्यों नहीं मिल रहा सस्ते कच्चे तेल का फायदा
ऑयल कंपनियों को एक लीटर पेट्रोल के लिए 31 रुपये खर्च करने पड़ते हैं लेकिन केंद्र सरकार इसपर 48 रुपये से ज्यादा प्रति लीटर का भारी टैक्स वसूलती है। साल 2013 में सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी को मोदी सरकार ने 126 फीसदी तक बढ़ा दिया था। डीजल पर लगने वाले ड्यूटी में भी 374 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है।
हर दिन तय होती है पेट्रोल-डीजल की कीमत
सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमत के लिए इसी साल 16 जून को डायनैमिक प्राइसिंग शुरू की थी। इसी का नतीजा है कि अब हर दिन पेट्रोल-डीजल की कीमत तय होती है। पहले 1 रुपये कीमत बढ़ने पर भी विपक्ष सरकार पर हमलावर हो जाती थी लेकिन अब इसी वजह से ऐसा नहीं होता है।
पेट्रोलियम मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने डायनैमिक प्राइसिंग लागू होने के बाद कहा था कि इसका सीधा फायदा आम ग्राहकों को मिलेगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
Source : News Nation Bureau