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शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी के धर्म बदलने पर हंगामा अभी शांत भी नहीं हुआ था कि केरल के फिल्म निर्माता अली अकबर ने भी हिंदू धर्म अपनाने की घोषणा कर दी है. अली अकबर का नया नाम राम सिम्हन होगा. वसीम रिजवी और अली अकबर की तुलना करें तो दोनों ही मुस्लिम धर्म से आते हैं और दोनों ने ही धर्म बदलकर हिंदू धर्म अपनाया है. कमाल की बात दोनों का ही कहना था की वह अपने-अपने धर्म के लोगों से नाराज थे लेकिन अगर तुलना की जाए तो दोनों के धर्म बदलने में कुछ अंतर है.
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वसीम रिजवी की बात कहें तो वह पहले से विवाद में थे. वह शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहे लेकिन तभी से उनकी बातों को लेकर तमाम विवाद होते रहे. उन्होंने कुरान शरीफ कई आयतों को लेकर शिकायत की. उनका तो यहां तक दावा था कि कुरान शरीफ की ये आयतें आज के संदर्भों में ठीक नहीं हैं. यह आतंकवाद को पोषित करने वाली हैं. इन्हें कुरान शरीफ से हटा देना चाहिए. इसे लेकर वसीम रिजवी ने कोर्ट में याचिका भी दायर की थी हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी.
इसके बाद वसीम रिजवी ने पैगंबर मोहम्मद को लेकर एक किताब भी लिखी, जिस पर आपत्ति जताई जा चुकी है. यहां तक की इस किताब के खिलाफ एफआईआर कराने का दावा किया गया है. इस किताब के सामने आने के कुछ दिन बाद ही वसीम रिजवी ने कई हिंदू धर्माचार्यों के बीच बकायदा यज्ञ के बाद हिंदू धर्म अपनाया. वसीम रिजवी को हिंदू धर्म ग्रहण करवाने वाले नरसिंह्मानंद सरस्वती खुद भी विवादित व्यक्तित्व रहे हैं.
वहीं, अली अकबर की बात करें तो उन्होंने अपने धर्म परिवर्तन को राष्ट्र से जोड़ा. उन्होंने सीडीएस रावत की मौत का मजाक उड़ाने पर गहरा दुख जताया. उन्होंने कहा है कि हमारे आर्मी चीफ की मौत के बाद बहुत से लोगों ने हंसने की इमोजी लगाई. ये बहुत खराब बात थी. आप सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों के नाम देख सकते हैं. वो सभी मुसलमान हैं. हम सिर्फ अपने धर्म को सबसे पहले रखकर कैसे जी सकते हैं. मेरे नजरिए से धर्म तीसरे नंबर पर आता है. पहले नंबर पर मेरा देश है, दूसरे नंबर पर भी मेरा देश ही है और तीसरे नंबर पर धर्म है.'
अब लोग वसीम रिजवी और अली अकबर के धर्म परिवर्तन की तुलना करने में लगे हैं लेकिन दोनों के स्टेटमेंट देखें जाएं तो बिल्कुल अलग-अलग कारण नजर आते हैं.