अजमेर ब्लास्ट केस: स्वामी असीमानंद बरी, भावेश, सुनील जोशी, देवेंद्र गुप्ता दोषी करार
जयुपर की एक स्थानीय अदालत ने 2007 के अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले बुधवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्वामी अमीमानंद को बरी कर दिया जबकि भावेश और देवेंद्र गुप्ता को दोषी करार दिया।
highlights
- 2007 अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले में असीमानंद बरी
- एनआईए कोर्ट ने सुनील जोशी, भावेश और देवेंद्र गुप्त को दोषी करार दिया
- अजमेर ब्लास्ट में 3 की हुई थी मौत, 15 लोग हुए थे घायल
नई दिल्ली:
जयुपर की स्थानीय अदालत ने 2007 के अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले बुधवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता स्वामी असीमानंद को बरी कर दिया जबकि सुनील जोशी, भावेश और देवेंद्र गुप्ता को दोषी करार दिया। सुनील जोशी की मौत हो चुकी है।
गौरतलब है कि सूफी ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 11 अक्टूबर, 2007 की शाम 6.15 बजे हुए बम विस्फोट में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 15 अन्य घायल हो गए थे।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अदालत ने मामले में भवेश पटेल, देवेंद्र गुप्ता और सुनील जोशी (मृत) को दोषी करार दिया है और उन्हें सजा सुनाने के लिए 16 मार्च की तारीख मुकर्रर की है।
Ajmer blast case: The three found guilty by NIA court are Sunil Joshi(already dead), Bhavesh and Devendra Gupta
— ANI (@ANI_news) March 8, 2017
स्वामी असीमानंद के अधिवक्ता जगदीश राणा ने कहा, 'न्यायाधीश ने भवेश भाई पटेल, देवेंद्र गुप्ता तथा सुनील जोशी को मामले में दोषी ठहराया है। सुनील जोशी की पहले ही मौत हो चुकी है।' उन्होंने कहा कि अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया है।
अदालत ने तीनों दोषियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 295ए (किसी वर्ग विशेष की धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए उसके धर्म या धार्मिक भावनाओं का अपमान करने को लेकर जानबूझकर किया गया काम), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की विभिन्न धाराओं तथा अवैध गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दोषी पाया।
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सरकारी वकील अश्विनी कुमार शर्मा ने कहा, 'मेरी दलील पेश होने के बाद न्यायाधीश 16 मार्च को अपना फैसला सुनाएंगे।' कुल 13 आरोपियों में से तीन आरोपी अभी भी फरार हैं।
पुलिस ने प्रारंभिक जांच में विस्फोट के पीछे इस्लामिक आतंकवादी संगठनों का हाथ बताया था, लेकिन बाद में असीमानंद के कबूलनामे से हिंदूवादी संगठन जांच के घेरे में आ गए।
इसी वर्ष जनवरी के पहले सप्ताह में मामले पर सुनवाई पूरी हुई। मामले की सुनवाई के दौरान कुल 149 गवाहों के बयान दर्ज किए गए और 451 दस्तावेज अदालत के समक्ष पेश किए गए। अदालत मामले पर फैसले 25 फरवरी को ही सुनाने वाली थी, लेकिन बाद में इसे आठ मार्च तक टाल दिया गया था।
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(इनपुट आईएएनएस से भी)
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