महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने मंगलवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार की कैबिनेट विस्तार में देरी के लिए आलोचना की। पवार ने कहा कि इससे प्रशासन बुरी तरह पंगु बन चुका है और इसने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ितों के लिए राहत कार्य प्रभावित किया है।
बाढ़ प्रभावित जिलों के 4 दिवसीय दौरे के बाद पत्रकारों से बात करते हुए पवार ने हाल ही में मराठवाड़ा, विदर्भ और राज्य के अन्य हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित किसानों की दुर्दशा पर उनकी उपेक्षा करने के लिए शिवसेना से अलग हुए धड़े के नेता शिंदे और भारतीय जनता पार्टी के नेता फडणवीस की आलोचना की।
उन्होंने मुख्यमंत्री पर उनके सम्मान समारोह में शामिल होने में व्यस्त रहने का आरोप लगाया, जबकि राज्य को 30 जून को शपथ लेने के 34 दिन बाद भी मंत्रिमंडल में देरी के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पवार ने कहा, दो-सदस्यीय सरकार (शिंदे-फडणवीस) कैबिनेट हॉल में 43 कुर्सियों (मंत्रियों की) के साथ अन्य मंत्रियों को विभागों को आवंटित किए बिना मैराथन बैठकें कर रही है।
उन्होंने शिंदे से उनके अभिनंदन में शामिल होने के बजाय महत्वपूर्ण प्रशासनिक प्रक्रियाओं में भाग लेने और बाढ़ प्रभावित किसानों और ग्रामीणों तक मदद पहुंचाने, मंत्रिमंडल का विस्तार करने और महाराष्ट्र विधानमंडल के लंबे समय से विलंबित मानसून सत्र बुलाने का आह्वान किया।
पवार ने कहा कि लंबे समय तक कैबिनेट की अनुपस्थिति ने विभिन्न विभागों के समन्वय को बाधित किया है। राकांपा नेता ने कहा कि इसने किसानों को हुए नुकसान के लिए पंचनामा की रिकॉडिर्ंग को प्रभावित किया है और उन्हें अन्य राहत और पुनर्वास उपाय प्रदान करने में दिक्कतें आई हैं।
उन्होंने मांग करते हुए कहा, कृषि संकट से प्रभावित क्षेत्रों में फिर से आत्महत्याएं बढ़ रही हैं और सरकार को पीड़ितों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए तुरंत गीला-सूखा (वेट-ड्राउट) घोषित करना चाहिए।
विधायिका के मानसून सत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह 18 जुलाई के लिए निर्धारित किया गया था, मगर इसे स्थगित कर दिया गया। इसके बाद 25 जुलाई से सत्र की उम्मीद थी मगर इसमें फिर से देरी हुई और यह 1 अगस्त को भी होने में विफल रहा।
पवार ने कहा, राज्य के सामने आने वाले प्रमुख मुद्दों, व्यापक वित्तीय राहत पैकेज की आवश्यकता और अन्य ज्वलंत समस्याओं पर चर्चा के लिए मानसून सत्र तुरंत बुलाया जाना चाहिए।
यहां तक कि उन्होंने शिंदे-फडणवीस को एक विस्तृत पत्र लिखकर किसानों, प्रभावित ग्रामीणों, छात्रों, क्षतिग्रस्त सड़कों, बिजली लाइनों, मोबाइल टावरों की मरम्मत, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आधारभूत संरचना और अन्य जरूरी संसाधनों की मांग भी की है।
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Source : IANS