अजीत डोभाल ने जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों को दिया बड़ा निर्देश, घर-घर जाकर करें ये काम
अजीत डोभाल द्वारा श्रीनगर में स्थानीय लोगों से की जा रही लगातार मेल-मुलाकात से सीख लेते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अपने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है.
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा श्रीनगर में स्थानीय लोगों से की जा रही लगातार मेल-मुलाकात से सीख लेते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अपने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे प्रतिनिदिन कम से कम 20 परिवारों से मुलाकात करें. इन अधिकारियों में उपायुक्त और अराजपत्रित अधिकारी भी शामिल होंगे. लोगों से इन मुलाकातों के अलावा प्रशासन ने सेलुलर सेवा बंद किए जाने के कारण प्रभावित हुए लोगों को संचार सुविधाएं सुनिश्चित कराने के लिए घाटी भर में 400 टेलीफोन बूथ भी स्थापित किए हैं.
राजभवन के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि सोमवार से ईद समारोह शुरू होने से पहले घाटी में सामान्य स्थिति लाने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं. जिला प्रशासन के अधिकारियों को कम से कम 20 परिवारों के घर जाकर उनकी दिन-प्रतिदिन की समस्याओं पर चर्चा करने का आदेश दिया गया है. श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर के अन्य संवेदनशील शहरों में किराने के सामान पहुंचाने के लिए बड़ी संख्या में मोबाइल वैन तैनात की गई हैं।. सूत्रों ने कहा कि मुख्य सचिव का कार्यालय यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि चिकित्सा सुविधाएं (एंबुलेंस तैनाती सहित) स्थानीय निवासियों तक पहुंचें. क्योंकि कर्फ्यू से सरकारी और निजी अस्पतालों का काम प्रभावित हुआ है.
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घाटी के सभी संवेदनशील शहरों में कर्फ्यू जैसी पाबंदियों के बावजूद घाटी से बाहर रहने वाले कश्मीरी अपने परिवार के साथ ईद की पूर्व संध्या पर शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में श्रीनगर पहुंच रहे हैं. राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने पुलिस को निर्देश दिया है कि श्रीनगर पहुंचने वालों को प्राथमिकता के आधार पर परिवहन सुविधा दी जाए, ताकि वे अपने घरों तक पहुंच सकें.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर पर लिए गए फैसले के बाद गुरुवार शाम राष्ट्र को संबोधित करते हुए आश्वासन दिया था कि ईद के दौरान लोगों को कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा. प्रधानमंत्री ने कहा था, 'सरकार जम्मू एवं कश्मीर से बाहर रहने वाले उन लोगों को हर संभव मदद मुहैया करा रही है, जो ईद मनाने के लिए घर वापस लौटना चाह रहे हैं.' इस दौरान उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि राज्य में संचार के माध्यम ठप होने से लोगों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
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