वायु प्रदूषण : यूपी और पंजाब के मुख्य सचिव को झेलनी पड़ी सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी
पराली का जलाया जाना दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का बड़ा स्रोत है.
दिल्ली:
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी को बुधवार को उस वक्त उच्चतम न्यायालय की नाराजगी का सामना करना पड़ा जब वह पराली जलाए जाने पर रोक लगाने के लिये उचित रूपरेखा के साथ नहीं आए. गौरतलब है कि पराली का जलाया जाना दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का बड़ा स्रोत है. शीर्ष अदालत ने तिवारी को तलब किया था. उन्होंने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ के समक्ष अपना नाम बताकर दलील शुरू की. पीठ ने 1985 बैच के आईएएस अधिकारी से कहा, ‘‘हम आपका नाम नहीं जानना चाहते हैं. हम कोई भाषण नहीं चाहते. क्या रूपरेखा है.’’
जब तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद पराली जलाने के संबंध में हालात की समीक्षा कर रहे हैं तो नाराज पीठ ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री हों या प्रधानमंत्री, नामों में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है. हमारी दिलचस्पी सिर्फ वास्तविक काम में है.’’ पीठ ने पराली जलाने पर रोक लगाने में नाकाम रहने के लिये पंजाब के मुख्य सचिव को भी फटकार लगाई. पीठ ने कहा कि अगर वह अदालत के सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे सके तो उन्हें अपनी कुर्सी खाली करनी पड़ सकती है.
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इसके पहले उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को राज्यों को फटकार लगाते हुए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारों को कहा कि यदि उन्हें लोगों की परवाह नहीं तो उन्हें सत्ता में रहने का भी कोई अधिकार नहीं है. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने कहा, ‘‘आप वास्तविकता से दूर रहकर केवल शासन करना चाहते हैं. आपको परवाह नहीं है और आपने लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया है.’’ न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश की सरकारों को उनके यहां पराली नहीं जलाने वाले छोटे और सीमांत किसानों को आज से सात दिन के भीतर 100 रुपये प्रति क्विंटल का वित्तीय सहयोग देने का निर्देश दिया. तीन राज्यों में पराली जलाया जाना दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के लिए 44 प्रतिशत जिम्मेदार है.
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सोमवार को न्यायालय ने पराली जलाने पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया था लेकिन किसानों ने उसके आदेश के बावजूद पराली जलाना जारी रखा. अदालत ने साथ ही कहा था कि यदि ऐसी एक भी घटना होती है तो अधिकारी जिम्मेदार होंगे. अदालत ने कहा कि सरकार को जिम्मेदार ठहराना होगा. न्यायमूर्ति मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों से सवाल किया, ‘‘क्या आप लोगों को प्रदूषण की वजह से इसी तरह मरने देंगे. क्या आप देश को सौ साल पीछे जाने दे सकते हैं?’’ प्रदूषण मामले पर सुनवायी करीब तीन घंटे चली. न्यायालय आम तौर पर सवा छह बजे बंद होता है लेकिन इसकी सुनवायी उसके आगे भी जारी रही. पीठ ने कहा, ‘‘हमें इसके लिये सरकार को जवाबदेह बनाना होगा.’’ पीठ ने सवाल किया, ‘‘सरकारी मशीनरी पराली जलाये जाने को रोक क्यों नहीं सकती?’’
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