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सोशल मीडिया पर वॉयरल हो रहे एक लेटर को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है. न्यूज एजेंसी एएनआइ से बात-चीत करते हुए पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कथित तौर पर राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखे जाने की खबरों को खारिज कर दिया है जिसके बाद सेना के राजनीतिक इस्तेमाल को लेकर पूर्व सैन्य अधिकारियों की चिठ्ठी पर विवाद शुरू हो गया है. मीडिया में आईं कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि 3 सेना प्रमुखों समेत 156 पूर्व सैन्य अधिकारियों ने राष्ट्रपति को खत लिखा है, लेकिन कई अधिकारियों ने ही ऐसी चिट्ठी लिखे जाने से इनकार किया है. पूर्व आर्मी चीफ एस.एफ रॉड्रिग्स ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में बताया कि उन्हें ऐसी किसी चिट्ठी के बारे में जानकारी नहीं है. बता दें कि पूर्व सैन्य अधिकारियों के नाम से सर्कुलेट हो रही चिट्ठी में उनका सबसे पहले था. वहीं राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने भी ऐसी किसी चिट्ठी के मिलने से इनकार किया है.
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यही नहीं रॉड्रिग्स के अलावा एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने भी ऐसी किसी चिट्ठी पर साइन करने की बात से इनकार किया है. पूर्व आर्मी चीफ रॉड्रिग्स ने कहा, 'मैं नहीं जानता कि यह सब क्या है. मैं अपने पूरे जीवन में राजनीति से दूर रहा हूं. 42 साल तक एक अधिकारी के रूप में पर काम करने के बाद अब ऐसा संभव भी नहीं हो सकता. मैंने हमेशा भारत (देश) को प्राथमिकता पर रखा है, मैं नहीं जानता कि यह फेक न्यूज कौन फैला रहा है.'
Gen SF Rodrigues: Don’t know what it(purported letter written by armed forces veterans to Pres)is all about.All my life,we've been apolitical.Aftr,42 yrs as officer,it's a little late to change.Always put India first.Don’t know who these ppl are,classic manifestation of fake news pic.twitter.com/Cgpo57sVhq
— ANI (@ANI) April 12, 2019
एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए कहा, 'यह एडमिरल रामदास की ओर से लिखा लेटर नहीं है. इसे किसी मेजर चौधरी ने लिखा है, जिसे लगातार वॉट्सऐप और ईमेल पर फॉरवर्ड किया जा रहा है. ऐसे किसी भी लेटर के लिए मेरी सहमति नहीं ली गई थी. इस लेटर में जो कुछ भी लिखा है, मैं उससे सहमति नहीं हूं. हमारी राय को इस लेटर में गलत तरीके से पेश किया गया है.'
आपको बता दें कि कई मीडिया वेबसाइट की खबरों में यह दावा किया गया था कि पूर्व सैन्य अधिकारियों की ओर से राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर सेना के राजनीतिक इस्तेमाल और भाषणों में 'मोदी की सेना' जैसी टिप्पणी पर आपत्ति जताई गई है. हालांकि अब अधिकारियों ने अपनी तरफ से किसी भी ऐसे लेटर या किसी लेटर पर हस्ताक्षर किया जाने के बाद से एक नया विवाद सामनेे खड़ा हो गया है.
Source : ANI