ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर ओवैसी ने मोदी और योगी सरकार को घेरा
बाबरी मस्जिद विवाद के निपटारे के बाद लगा था कि देश अब धर्म और विवाद की राजनीति से ऊपर उठकर 21वीं सदी में विकास की राजनीति की ओर बढ़ेगा, लेकिन हकीकत में ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है.
highlights
- सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है कि अदालत को बताए कि जो कर रहे हैं, वह गलत है
- बाबरी मस्जिद सिविल टाइटल के फैसले में भी 1991 के अधिनियम को संविधान से जोड़ा था
- भाजपा और संघ पर लगाया 90 के दशक वाले नफरत के युग को फिर से जगाने का आरोप
नई दिल्ली:
बाबरी मस्जिद विवाद के निपटारे के बाद लगा था कि देश अब धर्म और विवाद की राजनीति से ऊपर उठकर 21वीं सदी में विकास की राजनीति की ओर बढ़ेगा, लेकिन हकीकत में ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. बाबरी मस्जिद की आग अभी बुझी भी नहीं थी कि अब ज्ञानवापी मस्जिद की चिंगारी भड़कती नजर आ रही है. पूजा के स्थान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के बाद ऐसा लगा था कि अब देश को इस तरह के विवादित मुद्दों से छुटकारा मिल जाएगा, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. वाराणसी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट के आदेश पर एएसआई की ओर से काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम शुरू हो गया है. इस पर AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
Govt of India & UP Govt should've told Court that Parliament passed Places of Worship (Spl Provisions) Act, 1991; it stated that no religious place, as it existed on 15th Aug 1947, will be disturbed. They should've told Court: A Owaisi on his tweet on Gyanvapi Masjid in Varanasi pic.twitter.com/tVtxsk5IXz
— ANI (@ANI) May 7, 2022
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम शुरू होने पर केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. ओवैसी ने कहा है कि भारत सरकार और यूपी सरकार को कोर्ट को बताना चाहिए था कि संसद ने जो पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 पारित किया है. इसमें साफ-साफ कहा गया है कि कोई भी धार्मिक स्थल जो 15 अगस्त 1947 से पहले से अस्तित्व में है, उसकी स्थिति से छेड़छाड़ नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार यह भी जानती है कि जब बाबरी मस्जिद सिविल टाइटल का फैसला आया था, तब भी 1991 के अधिनियम को संविधान के बुनियादी ढांचे से जोड़ा गया था. इसलिए सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है कि वह अदालत को बताए कि वे जो कर रहे हैं, वह गलत है. इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा है कि वे ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि, नफरत की राजनीति उनको जचता है, इसलिए वे चुप हैं.
BJP should say if they accept Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991. It is BJP and Sangh that is focussing on this matter. They are trying to rekindle the era of hatred as the one in the 90s: AIMIM chief Asaduddin Owaisi on his tweet on Gyanvapi Masjid in Varanasi pic.twitter.com/Ga6UFdRvAk
— ANI (@ANI) May 7, 2022
इसके साथ ही ओवैसी ने भाजपा और संघ परिवार पर भी निशाना साधा है. ओवैसी ने कहा है कि भाजपा को भी यह बताया चाहिए कि क्या वे पूजा के स्थान (विशेष प्रावधान) अधिनियम- 1991 को स्वीकार करते हैं या नहीं. उन्होंने आगे कहा कि दरअसल, यह भाजपा और संघ की चाल है, जो इस मामले को फिर से मुद्दा बनाना चाहते हैं. ओवैसी ने आरोप लगाया है कि वे 90 के दशक वाले नफरत के युग को फिर से जगाने की कोशिश कर रहे हैं.
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