एम्स में चल रही है अनोखी सर्जरी, जानें कनजायंड ट्विन्स से जुड़ी मुख्य बातें

देश में अब तक सिर से जुड़े बच्चे की सर्जरी नहीं हुई है। भारतीय डॉक्टर्स पहली बार सिर से जुड़े ट्वीन बेबी को अलग करने के लिए सर्जरी का प्रयास कर रहें है।

देश में अब तक सिर से जुड़े बच्चे की सर्जरी नहीं हुई है। भारतीय डॉक्टर्स पहली बार सिर से जुड़े ट्वीन बेबी को अलग करने के लिए सर्जरी का प्रयास कर रहें है।

author-image
vineet kumar1
एडिट
New Update
एम्स में चल रही है अनोखी सर्जरी, जानें कनजायंड ट्विन्स से जुड़ी मुख्य बातें

जानें क्या है कनजायंड ट्विन्स, भारत में पहले भी हुई है सर्जरी

देश में अब तक सिर से जुड़े बच्चे की सर्जरी नहीं हुई है। भारतीय डॉक्टर्स पहली बार सिर से जुड़े ट्वीन बेबी को अलग करने के लिए सर्जरी का प्रयास कर रहें है। ओड़ीसा से आये कनजायंड जुड़वा जग्गा और बलिया के पहले फेज़ का ऑपरेशन एम्स में पूरा हो गया है। यह ऑपरेशन 18 घंटे तक चला और बच्चे अभी आईसीयू में हैं। दूसरे फेज़ का ऑपरेशन अक्टूबर में होगा।

Advertisment

पहले भी हुआ है सफल प्रयास

बिहार के अररिया जिले में लक्ष्मी तोतमा का जन्म 2005 में हुआ। लक्ष्मी इस्चीओपगुस (ischiopagus) ट्विन थी, जिसकी वजह से जन्म के साथ ही उसके 4 पैर और 4 हाथ थे। इस वजह से स्थानीय निवासियों ने लक्ष्मी को देवी का अवतार मान लिया था। नवंबर 2007 में इस अविकसित जुड़वा को लक्ष्मी से अलग करने के लिए सफलतापूर्वक सर्जरी की गई. 27 घंटे तक चले इस ऑपरेशन के बाद लक्ष्मी पूरी तरह से स्वस्थ है और अब पूरी तरह से सामान्य जीवन जी रही है।

यह भी पढ़ें : देश में पहली बार सिर से जुड़े बच्चों को अलग करने की सर्जरी एम्स में शुरू

कनजायंड ट्विन्स क्या है?

एक ही गर्भावस्था के दौरान पैदा होने वाली दो संतानों को जुड़वा कहते हैं। कॉनजायंड जुड़वा ऐसे जुड़वा होते हैं जिनके सिर गर्भ से ही एक दूसरे से जुड़े होते हैं। यह एक दुर्लभ घटना है, दक्षिण एशिया और अफ्रीका के कई भागों में इस तरह के लगभग 18900 केसेज सामने आ चुके हैं।

आखिर क्या है ये बीमारी?
कनजायंड जुड़वा की व्याख्या करने के लिए दो विरोधाभासी सिद्धांत मौजूद हैं। आम तौर पर मानी जाने वाली थ्योरी के अनुसार फिशन कनजायंड जुड़वा का आधार हैं। इस फिशन में गर्भ में फर्टिलाइज़्ड अंडे आंशिक रूप से विभाजित होते हैं जिस वजह से कनजायंड जुड़वा का जन्म होता है। एक दूसरी थ्योरी के अनुसार कनजायंड जुड़वा का आधार फ्यूज़न होता है, जिसके अंदर फर्टिलाइज़्ड अंडे एक दूसरे से पूरी तरह से अलग हो जाते हैं पर एक जैसी मिलने वाली स्टेम कोशिकाओं की वजह से जुड़ जाते हैं।

इसे भी पढ़ें: विटामिन D की कमी को न करें नजरअंदाज, हो सकती है दिल संबंधी बीमारियां

इससे जुड़ा अब तक का इतिहास और तथ्य

  • 25 लाख में से एक ऐसा केस देखा जाता है। ऐसे 50 पर्सेंट बच्चे गर्भ में मर जाते हैं। 
  • बाकी बचे 50 पर्सेंट का जन्म होता है, जिसमें से 10 पर्सेंट बच्चे जन्म के एक महीने के अंदर मर जाते हैं।
  • इसके बाद बचे 40 पर्सेंट में से 20 पर्सेंट की सर्जरी हो पाती है।
  • सर्जरी के बाद केवल 25 पर्सेंट ही सक्सेस रेट है।
  • 1952 से दुनिया भर में केवल 50 ही ऐसी सर्जरी हुईं हैं। इसमें केवल एक ही सर्जरी के बाद 20 साल तक कोई जिंदा रहा है।
  • देश में ऐसे दो केसेज हैं, जिसमें से एक ट्वीन हैदराबाद में है, जो गर्ल्स हैं। ऐसा ही एक ट्वीन पटना में भी जिंदा है।

यह भी पढ़ें : हार्ट फेल से बचना है तो जरूर लें विटामिन D, कमी को नहीं करें नजरअंदाज

Source : News Nation Bureau

odisha AIIMS Conjoined Twins
      
Advertisment