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चैट जीपीटी जैसा AI अब भारत में बनेगा? पीएम मोदी से क्यों मिले थे जेनसेन हुआंग?

ताइवान में जन्मे हुआंग ने करीब 30 साल पहले 5 अप्रैल 1993 को अपने दो साथियों के साथ मिलकर एनवीडिया को बनाया था. कंपनी का मुख्यालय अमेरिका के कैलिफोर्निया में है.

Updated on: 21 Sep 2023, 06:27 PM

नई दिल्ली:

सितंबर की शुरुआत में पीएम नरेंद्र मोदी एक शख्स से मिले. ये मुलाकात बहुत खास थी क्योंकि इसमें भारत के युवाओं की बात हुई थी. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की बात हुई थी. और इस सेक्टर में भारत की क्षमताओं और संभावनाओं की बात हुई थी. जिस शख्स से पीएम मोदी मिले थे उनका नाम है जेनसेन हुआंग. हो सकता है कि आपने पहले ये नाम न सुना हो. लेकिन शायद आपने एनवीडिया का नाम तो सुना होगा. समझाने के लिए आसान बात कहूं तो एनवीडिया आपके कंप्यूटर के लिए ग्राफिक कार्ड बनाने वाली कंपनी है. और इसी कंपनी के सीईओ हैं जेनसेन हुआंग. आप सोच सकते हैं कि पीएम मोदी तो अक्सर बड़े-बड़े कारोबारियों से मिलते हैं, इसमें कौन सी बड़ी बात है. तो इस खबर में हम आपको इसी मुलाकात के मायने बताने वाले हैं. 

सबसे शुरु में हमें ये समझना होगा कि कंप्यूटर में एक चीज होती है जिसे CPU कहा जाता है. यानि सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट. इसे कंप्यूटर का दिमाग माना जाता है. इसमें लगता है एक प्रोसेसर. इसको इंटेल और एएमडी जैसी कंपनियां बनाती हैं. CPU की तरह ही एक चीज और कंप्यूटर में लगती है जिसका नाम है GPU यानी ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट. जो इमेज, वीडियो, ग्राफिक हमें अपनी स्क्रीन पर दिखता है, उसमें इसी का हाथ होता है. पिछले कुछ वक्त से GPU का एक और इस्तेमाल सामने आया है. इसका इस्तेमाल आर्टिफिशिअल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में भी होने लगा है. मशीन लर्निंग के क्षेत्र में. कंप्यूटरी दिमाग के क्षेत्र में. चैट जीपीटी और गूगल बार्ड जैसे टूल आने के बाद से तो इसकी मांग बहुत बढ़ गई है. और एनवीडिया इसी GPU को बनाने वाली कंपनी है. कंपनी के बारे में ये समझ लीजिए कि पिछले एक साल में इसके शेयर का भाव करीब चार गुना बढ़ गया है. इस कंपनी की शेयर बाजार में कीमत एक ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा है.

भारत में टाटा और रिलायंस के साथ मिलकर काम करेगी

82 लाख करोड़ से भी ज्यादा वाली इस कंपनी के सामने फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा भी छोटी है. और अब खास बात ये है कि ये एनवीडिया कंपनी अब भारत में टाटा और रिलायंस के साथ मिलकर काम करेगी. भारत को इस कंपनी से फायदा हो, भारत के युवाओं के इस कंपनी से फायदा हो, इसी के लिए पीएम मोदी ने इस कंपनी के सीईओ से मुलाकात की थी. ये कंपनी अब भारतीय भाषाओं के लिए आर्टिफिशियल मॉडल बनाएगी ताकि देश के करोड़ों लोग अपनी-अपनी स्थानीय भाषा में AI का इस्तेमाल कर सके. इसका फायदा रिलायंस जियो के करीब 45 करोड़ ग्राहकों को तो होगा ही, इंफोसिस के 50 हजार और टाटा के टीसीएस के 6 लाख कर्मचारियों को भी इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वो लोग भी AI के काम को समझें, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए सर्विस सेक्टर में कुछ बेहतर करें.

जेनसेन हुआंग का प्लान अगर सफल रहता है तो AI के बाजार का सबसे बड़ा खिलाड़ी बन सकता है भारत. क्योंकि यहां AI के लिए बड़ी संभावनाएं हैं, बढ़िया कंप्यूटर इंजिनियर हैं, यानी कुल मिलाकर हर वो चीज है जो भारत तो इस क्षेत्र का सिरमौर बना सकती है. और यदि ऐसा हो जाता है तो दुनिया भर के देश AI के लिए भारत की ओर देखेंगे. 

ये कंपनी पिछले 20 सालों से काम कर रही

ताइवान में जन्मे हुआंग ने करीब 30 साल पहले 5 अप्रैल 1993 को अपने दो साथियों के साथ मिलकर एनवीडिया को बनाया था. कंपनी का मुख्यालय अमेरिका के कैलिफोर्निया में है. ये पांचवीं ऐसी अमेरिकी कंपनी है जिसका मार्केट वैल्यूएशन एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक है. भारत में भी ये कंपनी पिछले 20 सालों से काम कर रही है और देश में इसके करीब 3000 कर्मचारी हैं. GPU से AI तक का ये सफर कंपनी के लिए आसान तो नहीं रहा लेकिन कंपनी ने खुद को इस मामले में स्थापित किया है और नंबर वन भी बनाया है. अब ये कंपनी टाटा के साथ मिलकर भारत में AI क्लाउड तैयार करेगी, जेनरेटिव AI एप्लिकेशन तैयार करेगी. कंप्यूटर या मोबाइल आपका चेहरा देखकर अनलॉक हो जाए या फिर गाड़ी में लगने वाले AI, एनवीडिया ऐसे हर क्षेत्र में काम कर रही है. दुनियाभर में जितने GPU इस्तेमाल होते हैं उनमें से 88 फीसदी एनवीडिया के ही होते हैं. चैटजीपीटी को बनाने में 10 हजार ग्राफिक चिप लगे हैं और से सभी एनवीडिया के ही हैं. हर चिप करीब 10 हजार डॉलर का, यानी पूरी मशीन 1000 मिलियन डॉलर की.

कंप्यूटिंग तक के क्षेत्र में क्रांति की नई इबारतें लिखी जाएंगी

हो सकता है कि आने वाले वक्त में भारत में भी ऐसे AI तैयार हो सकें. भविष्य कौन ही जानता है लेकिन हां, भविष्य के लिए तैयार जरूर रहना चाहिए. शायद इसीलिए भारत के दिग्गज उद्योगपति टाटा और रिलायंस ने एनवीडिया के साथ हाथ मिलाया है ताकि भारत भविष्य के लिए तैयार हो सके. और पीएम मोदी की जेनसेन हुआंग के साथ मुलाकात इसी मायने में खास है कि अब जेनसेन की कंपनी के AI का असर भारत की एक बड़ी आबादी को फायदा देने के लिए होने वाला है. इससे न केवल देश में हजारों नौकरियां पैदा होंगीं बल्कि कई तरह के क्षेत्रों में लोगों का जीवन आसान भी बनेगा. दूर दराज के किसानों को तकनीक मिलेगी, मौसम की सही और सटीक जानकारी मिलेगी, दूरसंचार से लेकर कंप्यूटिंग तक के क्षेत्र में क्रांति की नई इबारतें लिखी जाएंगी. 

भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर को लेकर नई स्कीमें शुरु की

एक बात ये भी ध्यान देने वाली है कि कुछ वक्त पहले ही भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर को लेकर नई स्कीमें शुरु की हैं ताकि सेमीकंडक्टर भारत में बन पाएं, चिप निर्माण भारत में हो पाए. आपको बता दें कि अब सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल बाइकों से लेकर कारों तक में और टीवी से लेकर मोबाइल तक में होता है. और भारत में सेमीकंडक्टर बनें इसके लिए PLI स्कीम भी लॉन्च की गई है. दुनिया की कई बड़ी बड़ी कंपनियां इसमें अपनी रुचि भी दिखा रही हैं. अमेरिका से लेकर कोरिया और ताइवान तक की कंपनियां अब भारत आना चाहती है. चीन के माहौल को देखते हुए वहां से कारोबार समेटना चाहती हैं. ऐसे में भारत के पास न केवल सेमीकंडक्टर हब बनने का मौका है बल्कि AI मास्टर बनने का भी मौका है. और यदि दुनिया में कोई बड़ी उथलपुथल न हो तो बेशक आने वाले वक्त में भारत दोनों ही चीजों में अव्वल आएगा.

(रिपोर्ट-वरुण कुमार)