राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि जिला पुलिस अधीक्षकों को निचले स्तर तक कानून-व्यवस्था की स्थिति को मजबूत करने में प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हर पीड़ित को समय पर न्याय मिले।
उन्होंने कहा कि सक्रिय पुलिसिंग की मिसाल कायम करने के लिए पुलिस चेक पोस्ट स्तर तक प्रभावी निगरानी सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री ने यह बात शुक्रवार को अपने सरकारी आवास से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पुलिस महानिरीक्षक एवं पुलिस अधीक्षकों की बैठक को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि यह संतोष की बात है कि राज्य सरकार की पहल के बाद पॉक्सो एक्ट, महिलाओं के खिलाफ अपराध और एससी/एसटी उत्पीड़न के मामलों के निपटान में लगने वाले औसत समय में उल्लेखनीय कमी आई है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में बलात्कार के मामलों में जांच का समय 211 दिन था, जो 2021 में घटकर 86 दिन हो गया है।
2021 में पॉक्सो एक्ट के 510 मामलों में आरोपी को चार मामलों में मौत की सजा और 35 मामलों में उम्रकैद की सजा मिली। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी ऐसे मामलों में पुलिस द्वारा प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक के दुरूपयोग से होने वाले साइबर और आर्थिक अपराधों की प्रभावी रोकथाम के लिए पुलिस अधीक्षकों को नवाचारों को अपनाना चाहिए।
अपराध शाखा को अपराधों का निरीक्षण करना चाहिए और वरिष्ठ अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से मौके पर जाकर गंभीर अपराधों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिरासत में मौत, बलात्कार, किशोर अपराध, महिलाओं पर अत्याचार आदि की घटनाओं को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि ऐसे मामलों में मीडिया को वास्तविक स्थिति से तुरंत अवगत कराया जाना चाहिए ताकि कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब न हो। जिलों में पुलिस मुख्यालय और सोशल मीडिया टीमों के बीच प्रभावी समन्वय होना चाहिए।
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Source : IANS