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एनएसजी के मुद्दे पर भारत का कड़ा रुख, रूस से कहा- नहीं मिली सदस्यता तो लगेगा परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम पर ब्रेक

रूस भारत की एनएसजी सदस्यता के लिए चीन पर दवाब डालेगा।

Updated on: 17 May 2017, 12:59 PM

नई दिल्ली:

भारत एनएसजी में सदस्यता पाने के लिए रुस पर दबाव बना रहा है। मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने रूस को साफ संदेश दिया है कि अगर रूस अपने दोस्त चीन को मनाने की पहल नहीं करता है तो वह कुंडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना की 5 वीं और 6 वीं रिएक्टर यूनिटों से जुड़े समझौते को लेकर पीछे हट सकता है।

अंग्रेजी अख़बार के मुताबिक भारत को लग रहा है कि रूस लापरवाही भरा रुख अपना रहा है। और सदस्यता दिलाने को लेकर कोई अतिरिक्त कोशिश नहीं की जा रही है। वैश्विक मुद्दों पर चीन के साथ खड़े नजर आने वाले रूस से भारत यह उम्मीद करता रहा है कि वह भारत की एनएसजी सदस्यता के लिए चीन पर दवाब डालेगा।

वहीं रूस की ओर से भी इस बात की आशंका जताई जा रही है कि भारत परमाणु रिएक्टर से संबंधित समझौतों में जानबूझ की देरी कर रहा है। ताकि वह एनएसजी सदस्यता के लिए रूस पर दबाव डाल सके।

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एमओयू साइन करने को लेकर भारत के 'टालमटोल' से फिक्रमंद रूस के उपप्रधानमंत्री दिमित्री रोगोजिन ने पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में यह मुद्दा उठाया था। एक टॉप ऑफिशल सूत्र ने यह बात कन्फर्म की है। हालांकि भारत की ओर से इस मुलाकात में एमओयू साइन करने को लेकर कोई भरोसा नहीं दिलाया गया।

पीएम नरेंद्र मोदी 1 से 3 जून तक रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं, उससे पहले ही भारत ने एनएसजी सदस्यता का मसला रूस के सामने उठाया है। इसका मकसद साफ है कि राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भारत की चिंताओं को समझें।

रूस को मोदी की यात्रा के दौरान कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना की 5वीं और 6वीं रिऐक्टर यूनिट्स को विकसित करने के लिए समझौते की उम्मीद लगी थी, लेकिन भारत के इस रूख से रूस की चिंताएं बढ़नी लाजमी हैं।

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