कृषि मंत्री बोले- 15 जनवरी को जरूर निकलेगा समाधान
Farmer Protest: केंद्र और किसान संगठनों के बीच सात जनवरी को हुई आठवें दौर की बाचतीच में भी कोई समाधान नहीं निकला था. किसान नेताओं ने कहा कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिये तैयार हैं.
नई दिल्ली:
Supreme Court on Farmers Protest: कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का आंदोलन (Farmer Protest) आज 47वें दिन में प्रवेश कर गया है. दिल्ली की सीमाओं पर किसान अभी भी डेरा डाले हुए हैं. किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं. आज इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में इस मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई की जानी है. सुप्रीम कोर्ट आंदोलन से कोरोना फैलने की आशंका को लेकर काफी सख्त नजर आ रहा है.
किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार ने SC का रुख किया. सरकार ने मांग की है कि कोर्ट किसान संगठनों की गणतंत्र दिवस को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाए, क्योंकि ऐसी रैली से विश्व में देश के सम्मान को ठेस पहुंचेगी.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि कानूनों का मामला सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष है और मुझे इस पर टिप्पणी करना आवश्यक नहीं लगता. किसानों के साथ बातचीत का अगला दौर 15 जनवरी को है, मुझे उम्मीद है कि हम इसका हल निकालेंगे.
The matter of farm laws is before the Supreme Court and I don't find it necessary to comment on it. The next round of talks with the farmers is scheduled for Jan 15, I hope we will find a solution: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar pic.twitter.com/vQC5cLoLRR
— ANI (@ANI) January 11, 2021
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्षी नेताओं से कृषि कानूनों पर एक संयुक्त रणनीति बनाने के लिए बात की है और संसद सत्र से पहले एक बैठक आयोजित की जाएगी.
किसानों के मुद्दों सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही कल भी जारी रहेगी. इसलिए किसान नेताओं की आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी गई है.
CJI ने किसान संगठनों के वकील एच एस फुल्का से कहा कि आप एक काम कीजिए-किसानों के बीच जाइये और उनको मेरा संदेश दीजिए कि CJI चाहते हैं कि बच्चे ,बुजुर्ग अपने अपने घर लौट जाएं.
वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि किसान यूनियन ने 4 वकीलों दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, एच एस फुल्का और मुझे नियुक्त किया है. हम किसान संगठनों से बात करेंगे कोर्ट के विचार उन्हें बताएंगे.
केके वेणुगोपाल ने कहा कि अभी तक किसी ने भी संवैधानिक पहलू पर जिरह तक नहीं की है. ऐसे में रोक कैसे लग सकती है.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि कानून पर तब तक रोक नहीं लगा सकते जब तक दो बातें साबित न हो जाये
1- ये क़ानून का बनाना विधायिका के अधिकार क्षेत्र से बाहर है
2- मूल अधिकारों का हनन है.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सवाल ये है कि दक्षिण भारत के किसानों ने प्रदर्शन क्यों नहीं किया. उन्हें तो लगता है कि क़ानून उनके समर्थन में है. आपको कानून को समझना होगा, इस पर कोई फैसला लेने से पहले. हरियाणा CM किसानों से बात करना चाहते थे पर पूरे सेटअप को वहां प्रदर्शनकारियों ने गिरा दिया.
सीजेआई ने कहा कि हम ऐसा इसलिए कह रहे है क्योंकि आप मामले को सुलझाने में नाकामयाब रहे हैं. आपको जिम्मेदारी लेनी चाहिए. इस क़ानून के चलते स्ट्राइक हो रही है. आपको इसका हल निकालना है.
सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से कहा कि कानून पर रोक के बाद भी आप प्रदर्शन जारी रख सकते हैं. हम आपको प्रदर्शन करने से नहीं रोकेंगे पर ये ज़रूर कहेंगे कि ये प्रदर्शन के लिए उपयुक्त जगह नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि हमें आशंका है कि वहां शांति भंग घटनाएं हो सकती हैं. ऐसा न हो, ये हम सबकी जिम्मेदारी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कमेटी का गठन कर रहे हैं. अगर सरकार फिलहाल अमल ओर रोक नहीं लगाती तो हम इस बारे में आदेश पास करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिल के विरोध में लोग सुसाइड कर रहे हैं, ठंड से मर रहे हैं. इनके खाने पीने का कौन ध्यान रख रहा है.
सरकार की ओर से कहा गया कि कुछ किसान संगठन बिल का समर्थन कर रहे हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि आप जिन किसान संगठनों के समर्थन की दुहाई दे रहे है, उन्हें ये सब बात कमेटी जे सामने कहने दीजिए.
कोर्ट ने कहा कि ऐसी सूरत में भी हम कमेटी का गठन कर सकते हैं. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आप कानून लागू करने की ज़िद पर क्यों अड़े हैं
कोर्ट ने कहा कि हम चाहते है कि सर्वमान्य फैसला निकल जाए. इसलिए हमने आपसे क़ानून पर फिलहाल रोक न लगने की बात कही थी. अगर आपको जरा भी जिम्मेदारी का एहसास है तो आप अभी क़ानून को लागूं नहीं करेंगे.
कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा- आप सिर्फ यही कहकर सुनवाई टालने की मांग करते रहे कि बातचीत चल रही है, हम सरकार के रवैये से बहुत निराश हैं.
कोर्ट - हमने आपसे पूछा था कि क्या आप कानून पर अन्तरिम रोक पर विचार कर रहे है. आपने कोई जवाब नही दिया.
कोर्ट- हमने नहीं पता कि आपने कानून लाने से पहले तय प्रकिया का पालन किया. कई राज्य आपके खिलाफ क्यों हैं.
कोर्ट- आपने कहा कि बातचीत चल रही है.किस तरह की बातचीत चल रही है. अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है.
CJI की शुरुआती टिप्पणी - हम इस बात से बहुत निराश है, जिस तऱीके से सरकार इस केस को हैंडल कर रही है.
कोर्ट के सामने दो मसले विचार के लिए लगाए गए हैं
1- किसानों को बॉर्डर से हटाने की मांग ( शाहीन बाग फैसले का हवाला,लोगों के आवागमन का अधिकार बाधित होने की दलील देकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई)
2- नए कृषि क़ानूनों की सवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई
बीते शुक्रवार किसानों की सरकार के साथ बातचीत एक बार फिर से विफल रही. अब 15 जनवरी को किसान नेता 9वीं बार केंद्रीय मंत्रियों से मिलेंगे, लेकिन इस बैठक को लेकर भी किसान नेताओं में कोई उत्साह नहीं है और करीब सभी किसान नेता ये मान रहे हैं कि अगली बैठक भी बेनतीजा ही रहने वाली है.
पुलिस के द्वारा इस मामले में 71 लोगों पर FIR दर्ज कर ली गई है. इस मामले में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा है. बता दें कि किसानों के हंगामे के कारण ही सीएम खट्टर को अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था.
चिल्ला बॉर्डर पर बैठे किसानों का कहना है कि सड़कें उन्होंने नहीं बल्कि पुलिस प्रशासन ने बंद की हैं. वह तो जंतर मंतर जाना चाहते हैं प्रधानमंत्री से मिलना चाहते हैं पर सरकार संवाद के लिए तैयार नहीं. जब तक काले कानून बने हुए हैं, रद्द नहीं होते, तब तक किसान भी अपना विरोध प्रदर्शन वापस नहीं लेंगे.
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