किसान आंदोलन (Photo Credit: फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसानों का आंदोलन 45वें दिन में प्रवेश कर गया है. इन कानूनों को लेकर किसान अपनी जिद पर अड़े हैं. सरकार की ओर से बार बार वार्ता करके मसले को सुलझाने की कोशिश की जा रही है, जबकि किसान तीनों कानूनों को रद्द किए जाने की मांग पर अड़िग हैं. वहीं सरकार इन कानूनों में समाधान के लिए तैयार है, मगर इनकी वापसी के पक्ष में नहीं है. अब तक 8 दौर की बातचीत हो चुकी है, मगर नतीजा कुछ नहीं निकला है. किसान हजारों की संख्या में दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले बैठे हैं.
सूत्रों के अनुसार, संसद के बजट सत्र से पहले अगर किसानों का मुद्दा नहीं सुलझा तो कांग्रेस सदन नहीं चलने देगी. सभी विपक्षी दलों से कांग्रेस बात कर रही है.
कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस की बैठक हुई. बैठक में इस मुद्दे पर 15 जनवरी को सभी राजभवन का घेराव करने का फैसला लिाय गया है.
किसान आंदोलन और कृषि कानूनों की वैधता पर सुनवाई से पहले एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि कोर्ट सड़कें तुरंत खाली कराने का आदेश जारी करे. लाखों लोगों को परेशानी हो रही है.
सिंघु बॉर्डर में बारिश के कारण इकठ्ठा हुए कीचड़ की सफाई करने के लिए पंजाब से आए 'पंजाब यूथ फोर्स' के कार्यकर्ता पिछले 3 दिन से यहां सफाई कर रहे हैं. एक कार्यकर्ता ने बताया कि हम अपने पैसों से किराए पर कीचड़ साफ करने वाली गाड़ी लाए हैं. हमारे 25 कार्यकर्ता यहां पर काम कर रहे हैं.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि कल की वार्ता पूरी तरह से विफल रही. सरकार और किसान दोनों के बीच कोई सहमति नहीं बनी. अब 15 जनवरी को फिर से बैठक होनी है. ये आंदोलन लंबा चलेगा, क्योंकि सरकार कानून वापस लेने को तैयार नहीं और किसान घर वापसी के लिए तैयार नहीं.
नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच शुक्रवार को हुई आठवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही, लेकिन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उम्मीद है कि अगले दौर की बैठक में मसले का समाधान निकलेगा.
कांग्रेस पार्टी के समर्थन के बारे में किसानों का कहना है कि अगर कांग्रेस पार्टी ठीक होती तो 2014 में हम अबकी बार भाजपा सरकार नहीं बोलते, कांग्रेस ने भी किसानों का शोषण किया है.
किसानों का कहना है कि हमें 26 जनवरी का इंतजार है, जिसमें वो आर पार की लड़ाई के लिए तैयार है.