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किसान आंदोलन: फसलों को जलाने की धमकी पर राकेश टिकैत ने दी सफाई

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 88वें दिन में प्रवेश कर गया है. कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान धरना दे रहे हैं.

Updated on: 21 Feb 2021, 07:23 PM

नई दिल्ली:

किसान आंदोलन (Kisan Andolan) : केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 88वें दिन में प्रवेश कर गया है. कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान धरना दे रहे हैं. लेकिन अब पूरा आंदोलन राजनीति के चंगुल में फंसता दिख आ रहा है तो किसानों का मंच टिकरी-सिंघु बॉर्डर से गाजीपुर बॉर्डर शिफ्ट होता नजर आ रहा है. अब तक किसानों के कार्यक्रम का ऐलान सिंघु बॉर्डर के मंच से किया जाता रहा है, लेकिन 26 जनवरी की घटना के बाद गाजीपुर मंच से फैसले लिए जा रहे हैं. जिसको लेकर अब किसान नेताओं में फूट पड़ती जा रही है. गुरनाम सिंह चढ़ूनी और राकेश टिकैत आमने सामने हैं.

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राकेश टिकैत ने फसलों को जलाने के अपने बयान पर सफाई दी है. टिकैत ने कहा कि उनके कहने का मतलब फसल को बर्बाद करने से नहीं था. जब फसल पक जाए, उसके बाद बताया जाएगा कि आखिरकार करना क्या है.

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यूपी दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर गुजरात से युवाओं का एक दल किसानों को समर्थन देने के लिए पहुंचा. साथ ही अपने साथ को पोर्टेबल चरखा भी लेकर आया.

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कृषि कानूनों से किसान का नुकसान हो रहा है और बड़े उद्योगपतियों का फायदा हो रहा है. इसी तरह से जो कानून नदियों पर लागू है वो आपकी भलाई के लिए नहीं है, वो कानून उद्योगपतियों की भलाई के लिए है- प्रियंका गांधी वाड्रा

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दिल्ली विधानसभा में किसान नेता के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठक कर रहे हैं. इस दौरान किसान नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसानों का सम्मान किया.

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज विधानसभा में उत्तर प्रदेश के किसान नेताओं के साथ बैठक करेंगे. इस बैठक में कृषि कानूनों और किसानों से संबंधित अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी. बैठक में हिस्सा लेने के लिए किसान नेता विधानसभा पहुंचे.

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मोदी सरकार अब खाद्य तेल आयात पर देश की निर्भरता कम करने को लेकर मिशन मोड में काम करने जा रही है. खाद्य आयात पर खर्च का पैसा किसानों की झोली में डालने की तैयारी की जा रही है.

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2 अक्टूबर तक आंदोलन पर किसान नेताओं में एक राय नहीं दिख रही है. गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने राकेश टिकैत के बयान को निजी बताया है.