किसान आंदोलन (Photo Credit: फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसानों का आंदोलन आज 50वें दिन में प्रवेश कर गया है. कड़ाके की सर्दी में हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. एमएसपी और समेत कुछ सीमित मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे किसान अब इन कानूनों को रद्द किए जाने की मांग पर अड़े हैं. जबकि सरकार लिखित एमएसपी समेत उनकी किसानों की कुछ मांगों पर सहमति हो चुकी थी और संशोधन के लिए भी तैयार है. लेकिन किसान कानून वापसी चाहते हैं, तो सरकार इसके पक्ष में नहीं है. जिससे दोनों के बीच डेड लॉक की स्थिति है.
इनेलो के नेता अभय सिंह चौटाला जनजागरण अभियान के तहत 15 जनवरी से अम्बाला से किसान ट्रैक्टर यात्रा शुरू करेंगे. 21 जनवरी को नारनौल, रेवाड़ी होते हुए मसानीपुर बैराज धरना स्थल पर पहुंचेंगे.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि भूपेंद्र सिंह मान के कमेटी छोड़ने से उनका कोई मतलब नहीं है. साथ ही कमेटी से किसानों को कोई लेना देना नहीं है. राकेश टिकैत से पूछे गए सवाल क्या कमेटी में आप शामिल होंगे तो राकेश टिकैत ने दो टूक कहा कि मैं कमेटी में शामिल नहीं होऊंगा. राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि 26 जनवरी की तैयारी तेजी के साथ चल रही है.
किसान आंदोलन को लेकर बनाई गई सुप्रीम कोर्ट की चार सदस्यीय कमेटी से भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने खुद को अलग कर लिया है.
कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों ने फैसला लिया है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली अब सिर्फ दिल्ली बॉर्डर पर निकाली जाएगी. किसान ट्रैक्टर लेकर लाल किला नहीं जाएंगे.
सर्दी के सितम और घने कोहरे के बीच आंदोलनकारी किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. किसानों का कहना है कि जब तक नये कृषि काननू वापस नहीं होंगे तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा.
किसानों पर हेमा मालिनी के बयान पर AAP नेता राघव चड्ढा ने कहा, 'हेमा मालिनी जी किसानी के बारे में कितना जानती हैं ये पूरा देश जानता है. कमाल है कि वे समझ रही है कि इन कानूनों से किसानों को क्या फायदा होगा लेकिन देश का एक भी किसान नहीं समझ रहा है. ये फायदा देश के 2-3 उद्योगपतियों को होगा.'
करनाल की घटना के बाद हरियाणा सरकार अब किसान पंचायत और राजनीतिक कार्यक्रम नहीं करेगी. किसान आन्दोलन के बीच कोई कार्यक्रम नहीं होंगे, ताकि टकराव को टाला जा सके.