अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए केन्द्र द्वारा हाल ही में घोषित श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्ट के सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने सोमवार को कहा कि ट्रस्ट की पहली बैठक 19 फरवरी को दिल्ली में होगी, जिसमें मंदिर निर्माण को लेकर एजेंडा तय किया जाएगा. स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने प्रयागराज में मीडिया से कहा, ट्रस्ट की पहली बैठक में राम मंदिर के निर्माण की तिथि पर विचार किया जाएगा. उन्होंने बताया कि 19 फरवरी को दिल्ली में होने वाली बैठक में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले महंत नृत्य गोपाल दास को ट्रस्ट में शामिल करने के मुद्दे पर भी विचार किया जाएगा.
महंत नृत्य गोपाल दास अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर न्यास के अध्यक्ष हैं और हाल ही में प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद के संत सम्मेलन में सभी संतों ने उन्हें सरकार द्वारा गठित ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की थी. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत बुधवार को लोकसभा को जानकारी दी थी कि कैबिनेट ने अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट गठित करने का प्रस्ताव पारित किया है. उन्होंने कहा था कि यह ट्रस्ट अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर भव्य और दिव्य मंदिर के निर्माण और उससे जुड़े विषयों पर निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा. पिछले साल नौ नवंबर को तीन माह में ट्रस्ट बनाने के उच्चतम न्यायालय के आदेश की मियाद नौ फरवरी को खत्म होने से पहले प्रधानमंत्री ने खुद संसद में यह जानकारी दी.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में 15 सदस्य होंगे. इनमें से नौ स्थायी और छह नामित सदस्य होंगे. उच्चतम न्यायालय में रामलला विराजमान की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता केशवन अय्यंगार परासरण ट्रस्ट में होंगे. ट्रस्ट में जगदगुरु शंकराचार्य, जगदगुरु माधवानंद स्वामी, युगपुरुष परमानंद जी महाराज बतौर सदस्य होंगे. इसके अलावा पुणे के गोविंद देव गिरि, अयोध्या के डॉक्टर अनिल मिश्रा, कामेश्वर चौपाल और निर्मोही अखाड़ा के धीरेंद्र दास का नाम भी शामिल है. शुरुआत में तो ट्रस्ट वरिष्ठ अधिवक्ता परासरण के आवास से कार्य करेगा लेकिन बाद में इसका स्थायी कार्यालय खोला जाएगा.
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इस ट्रस्ट के पास राम मंदिर निर्माण और इससे जुड़े विषयों पर स्वतंत्र रूप से निर्णय करने के अधिकार होंगे. पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी की सरकार की अनुमति के बाद नौ नवंबर 1989 को प्रस्तावित राम मंदिर की नींव पड़ी थी. शिलान्यास के लिए पहली ईंट विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन संयुक्त सचिव कामेश्वर चौपाल ने रखी थी. चौपाल का नाता बिहार से है और वह दलित समुदाय से हैं. संसद में मोदी की घोषणा के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में कहा था, प्रधानमंत्री मोदी को प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान (अयोध्या में) पर भव्य मंदिर बनाने के लिए एक स्वायत्त ट्रस्ट का गठन करने के लिए कोटिश: धन्यवाद.
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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पूरी तरह स्वतंत्र और मंदिर निर्माण से संबंधित सभी निर्णय लेने में सक्षम होगा. जय श्रीराम. उधर, अयोध्या में नवगठित ट्रस्ट के ट्रस्टी बिमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र और अनिल मिश्र (दोनों अयोध्या से) ने ट्रस्ट के अध्यक्ष के चुनाव और नए सदस्यों के मनोनयन, ट्रस्ट के स्वरूप और कामकाज को लेकर कोई ब्योरा देने से इंकार किया. दोनों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 19 फरवरी को दिल्ली में होने वाली ट्रस्ट की बैठक के बाद ही सारी बातें स्पष्ट होंगी.