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लखीमपुर में हुई हिंसा के बाद अब विपक्ष की सियासत तेज, प्रशासन मुस्तैद

लखीमपुर में हुई हिंसा के बाद अब विपक्ष की सियासत तेज, प्रशासन मुस्तैद

Updated on: 04 Oct 2021, 11:00 AM

लखनऊ:

लखीमपुर की घटना को लेकर उत्तर प्रदेश की सियासत गरमा गई है। विपक्षी दल सरकार की घेराबंदी करने के लिए वहां जाने को बेताब दिख रहे है। प्रशासन ने पूरी मुस्तैदी से उन्हें रोकने की रणनीति बना रखी है। आप से राज्यसभा सदस्य संजय सिंह व भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर को सीतापुर में रोका गया है। सपा मुखिया अखिलेश यादव को लखनऊ में रोकने का प्रयास जारी है, जबकि छत्तसीगढ़ के सीएम भूपेश बघेल व पंजाब के उप मुख्यमंत्री को लखनऊ एयरपोर्ट पर रोकने का निर्देश जारी किया गया है।

उधर योगी सरकार ने मामले को नियंत्रण में कर रखा है। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार के साथ बड़े पुलिस अधिकारी तथा अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी व कृषि उत्पादन आयुक्त कल से लखीमपुर में डटे हैं। जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है, जबकि लखीमपुर खीरी जिला प्रशासन की किसान नेता राकेश टिकैत के साथ दो दौर की वार्ता के बाद अब तीसरे दौर की वार्ता भी जारी है।

कल रात प्रियंका किसानों से मुलाकात करने के लिए हालांकि लखनऊ से निकलने में कामयाब रहीं थी, लेकिन सीतापुर पुलिस ने हरगांव में उन्हें 4 बजे हिरासत में लिया है।

वहीं सतीश चंद्र मिश्रा को भी लखनऊ आवास में नजरबंद कर लिया गया। उधर, सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खीरी आने के एलान के बाद पुलिस हाउस अरेस्ट करने की तैयारी में है। अखिलेश के आवास के बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया गया है। बकायदा ट्रक-गाड़ियां लगा दी गई हैं। सपा के कार्यकर्ता यहां धीरे-धीरे जुटने लगे हैं। हालांकि, कई और नेता जो लखीमपुर के लिए निकले थे उन्हें पुलिस ने रोक लिया है। उधर, रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी सोमवार को लखीमपुर खीरी जाने का एलान किया है। इधर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी के घर के सामने पुलिस का पहरा लगा हुआ है।

बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि बसपा के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद एससी मिश्रा को कल देर रात यहां लखनऊ में उनके निवास पर नजरबन्द कर दिया गया जो अभी भी जारी हे ताकि उनके नेतृत्व में पार्टी का प्रतिनिधिमण्डल लखीमपुर खीरी जाकर किसान हत्याकांड की सही रिपोर्ट न प्राप्त कर सके। यह अति-दु:खद व निन्दनीय।

उन्होंने आगे कहा कि यूपी के दु:खद खीरी कांड में भाजपा के दो मंत्रियों की संलिप्तता के कारण इस घटना की सही सरकारी जांच व पीड़ितों के साथ न्याय तथा दोषियों को सख्त सजा संभव नहीं लगती है। इसलिए इस घटना की, जिसमें अब तक 8 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है, न्यायिक जांच जरूरी, बसपा की यही मांग है।

जिलाधिकारी अरविन्द चौरसिया ने बताया कि किसानों से कई चीजों पर चर्चा हुई है। किसानों ने मांग पत्र दिया है। उनकी मांग गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त करने, केस दर्ज करने, मृतकों के आश्रितों को मुआवजा धनराशि के साथ घर के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने और पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच कराने की है। हमने इसे उच्चस्तर पर भेजा है, हम एक दौर की वार्ता और करेंगे।

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