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जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में दोगुनी वृद्धि

भारत-पाकिस्तान सेनाओं के बीच लगातार झड़प के चलते नियंत्रण रेखा पर इस साल सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं बढ़कर दोगुनी हो गई हैं. इनमें से आधी घटनाएं 5 अगस्त के बाद दर्ज हुई हैं.

Updated on: 28 Dec 2019, 07:31 AM

highlights

  • पाकिस्तान के तेवर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद और तीखे ही हुए हैं.
  • इस साल नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान ने 3,200 बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया.
  • इनमें से आधी घटनाएं 5 अगस्त के बाद हुई हैं. यानी जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने के बाद.

नई दिल्ली:

अपने जन्म से पहले ही भारत को कट्टर शत्रु मान चुके पाकिस्तान के तेवर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद और तीखे ही हुए हैं. इसे अगर आंकड़ों की भाषा में कहें तो भारत-पाकिस्तान सेनाओं के बीच लगातार झड़प के चलते नियंत्रण रेखा पर इस साल सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं बढ़कर दोगुनी हो गई हैं. गौर करने वाली बात यह है कि इनमें से आधी घटनाएं 5 अगस्त के बाद दर्ज हुई हैं. यानी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद. इस लिहाज से कह सकते हैं कि अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के बाद से संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाओं में काफी तेजी आई है.

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इस साल 3,200 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन
इस साल नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान ने 3,200 बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया. सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तोपों और एंटी-टैंक मिसाइलों से हमले रोज की बात हो चली है. 2003 में दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम को लेकर हुए समझौते के बाद एक साल में इसके उल्लंघन की यह सबसे ज्यादा संख्या है. सेना के सूत्रों ने हाल के आकलन के बारे में कहा, 'पाकिस्तान की तरफ से लगातार घुसपैठ की कोशिश की जा रही है. जहां-जहां ऐसे प्रयास हुए हैं, वहां-वहां संघर्ष विराम उल्लंघन हुआ और भारी गोलाबारी के साथ घुसपैठ की कोशिश की गई. सभी जगह पैटर्न समान है.'

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सीज फायर उल्लंघन जारी रहने की आशंका
सूत्रों का कहना है कि झड़पें जारी रहने की आशंका है, क्योंकि पाकिस्तान आतंकवादियों को भारतीय सीमा में घुसाने की कोशिश करेगा. उनके मुताबिक, 'प्रमुख इलाकों में हिंसा और आतंकवादियों द्वारा की गई घटनाओं में कमी देखी गई है और आतंकवादी संगठनों में स्थानीय भर्ती भी कम हुई है.' एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, '778 किलोमीटर लंबी एलओसी पर सीमा-पार से संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाएं जारी है. खासकर अखनूर, पुंछ, उरी और केरन जैसे इलाकों में दोनों तरफ से भारी गोलीबारी हो रही है. दोनों ही तरफ नुकसान हुआ है.'

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आम नागरिक भी चपेट में
गुरुवार रात को भी पाकिस्तानी सेना ने पुंछ-राजौरी सेक्टर में सीजफायर का उल्लंघन किया जिसका सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया. एक सूत्र के मुताबिक ऐसे संकेत मिले हैं कि कुछ पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं, लेकिन इसी पुष्टि नहीं की जा सकती. एलओसी पर सीजफायर उल्लंघन की चपेट में अक्सर आम नागरिक भी आ जाते हैं. दोनों देशों के बीच तनाव तब और ज्यादा बढ़ गया जब मोदी सरकार ने इस साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करते हुए सूबे को 2 केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने का ऐतिहासिक फैसला लिया.

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बीते 5 माह का आंकड़ा
इस साल अब तक संघर्ष विराम उल्लंघन की 3,200 घटनाएं हो चुकी हैं जो 2003 के बाद से अबतक के सारे रेकॉर्ड को तोड़ चुकी हैं. इनमें से 1,600 संघर्ष विराम उल्लंघन तो सिर्फ पिछले 5 महीनों में हुए हैं. अगस्त में संघर्ष विराम उल्लंघन की 307, सितंबर में 292, अक्टूबर में 351 और नवंबर में 304 घटनाएं हुईं. दिसंबर के शुरुआती दिनों में ही यह आंकड़ा 300 पार कर गया था. इसके उलट 2017 में 971 और 2018 में 1,629 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन हुआ. इस साल संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में सेना के 41 जवान शहीद हुए जबकि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशनों में 158 आतंकवादी ढेर हुए हैं.